Som Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत कब और कैसे रखें, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, नियम और पूरी डिटेल्स

Som Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व बताया गया है. यह दिन देवो के देव महादेव को समर्पित होता है. यह व्रत सभी मास के कृष्पक्ष व शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है. वैशाख मास के शुक्लपक्ष का प्रदोष व्रत 20 मई यानी सोमवार को रखा जाएगा. यह व्रत सोमवार के दिन होने से इसका नाम सोम प्रदोष व्रत है और इसका महत्व भी अधिक होता है.

By Radheshyam Kushwaha | May 20, 2024 4:45 PM

Som Pradosh Vrat 2024: 50 साल बाद बना अत्यंत दुर्लभ संयोग
सोम प्रदोष व्रत पर करीब 50 साल बाद अत्यंत शुभ योग बन रहा है. सोमवार को मंगल प्रधान चित्रा नक्षत्र व सर्वसिद्धि को देने वाला सिद्धि योग का उत्तम संयोग रहेगा. इसके अलावा इस दिन गोचर लग्न मे तीन प्रमुख ग्रह सूर्य, गुरु और शुक की एक साथ युति होना शुभ व सिद्धि दायक होगा. ऐसे शुभ योग मे उमा- महेश की पूजा, अभिषेक, मंत्र जाप, स्तुति पाठ आदि करने से साधक को सभी शुभ कार्य मे सिद्धि की पप्राप्ति , पारिवारिक उन्नति होगी.

प्रदोष व्रत कब रखा जाता है ?

हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से प्रारंभ किया जा सकता है. इसके अलावा प्रदोष व्रत श्रावण और कार्तिक मास की त्रयोदशी से शुरू करना सबसे शुभ माना जाता है. इस व्रत को कोई भी रख सकता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

एक बार में कितना प्रदोष व्रत रखना चाहिए

एक बार में 11 या 26 प्रदोष व्रत ही रखने चाहिए . इसके बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए.सबसे बेहतर है की 108 प्रदोष व्रत रखकर शिवपुराण की कथा करवाएं.

प्रदोष व्रत में पूजा का समय

प्रदोष काल का अर्थ होता है शाम का समय. इस दिन प्रदोष काल में शिव जी की पूजा की जाती है. प्रदोष काल सूर्यास्त होने से 45 मिनट पहले का समय और सूर्यास्त होने के 45 मिनट बाद तक रहता है. अर्थात सूर्यास्त के समय से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है.

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प्रदोष व्रत के नियम

  • इस दिन भगवान शिव को सिंदूर, हल्दी, तुलसी, केतकी और नारियल का पानी बिल्कुल भी न चढ़ाएं.
  • इस दिन महिलाओं को शिवलिंग नहीं छूना चाहिए.
  • इस दिन शराब, मांस, प्याज, लहसुन, तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • इस दिन किसी को भी अपशब्द कहने से बचें.

प्रदोष व्रत रखने के फायदे

प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है.संतान प्राप्ति और संतान की सफलता के लिए ये व्रत बहुत प्रभावशाली है.इस व्रत को करने से दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों का नाश होता है .अलग अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व भी अलग अलग होता है. इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है. साथ ही व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं.

प्रदोष व्रत पूजा सामग्री लिस्ट

लाल या पीला गुलाल, सफेद चन्दन,दूध, पवित्र जल, गंगाजल, शहद, अक्षत, कलावा, चिराग, फल, फूल, सफेद मिठाई, कनेर का फूल, आसन, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, बेल पत्र, धागा, कपूर, धूपबत्ती, घी, नया वस्त्र, प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक, शिव चालीसा, पंचमेवा, घंटा, शंख, हवन सामग्री.

प्रदोष व्रत पूजा विधि

सबसे पहले नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करके गंगाजल से पूजा स्थल को पवित्र कर लें. पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएँ.भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी, और लौंग चढ़ाएं. शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें. कथा करें. इसके बाद शिवजी की आरती करें. रात में जागरण करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें.इस तरह व्रत व पूजा करने से व्रती की हर इच्छा पूरी हो जाती है.

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प्रदोष व्रत में क्या खा सकते हैं?

आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं. व्रत के दौरान आप दूध या दूध से बनी चीजें जैसे- दही, श्रीखंड या पनीर का सेवन कर सकते हैं. शाम को या अगले दिन जब आप अपना व्रत खोले तो हरे मूंग का सेवन करें. इसके अलावा आप व्रत के दौरान मावा बर्फी, आलू का हलवा, समा चावल की खीर, नारियल की बर्फी, आलू का पापड़, केले के चिप्स, अरबी की सूखी सब्जी, लौकी की सब्जी, सिंघाड़े के आटे के पराठे, साबूदाने का सेवन कर सकते हैं. प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. सादा नमक की जगह आप सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं.

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