आज सोम प्रदोष व्रत के दिन बना है दिव्य संयोग, इस मुहूर्त में करें पूजा

Som Pradosh Vrat 2025: जनवरी महीने का दूसरा प्रदोष व्रत आज सोमवार 27 जनवरी को मनाया जाएगा. माघ मास में आने वाला यह प्रदोष व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस बार का प्रदोष व्रत कई दृष्टियों से विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

By Shaurya Punj | January 27, 2025 8:13 AM

Som Pradosh Vrat 2025: यदि सोमवार को त्रयोदशी तिथि आती है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. आज साल का पहला सोम प्रदोष व्रत है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत में शिव की साधना विधिपूर्वक करता है, उसके सभी संकट भोलेनाथ दूर कर देते हैं. सोम प्रदोष व्रत पर इस बार शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है, यहां जानें

सोम प्रदोष व्रत करने से तीन व्रतों का लाभ प्राप्त होगा

इस बार प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों को एक साथ दो व्रतों का लाभ मिलने की संभावना है. दरअसल, 27 जनवरी को शाम 8 बजकर 35 मिनट पर त्रयोदशी के बाद चतुर्दशी तिथि भी प्रारंभ हो रही है. इस कारण इस दिन व्रत करने से चतुर्दशी का पुण्य भी प्राप्त होगा. शास्त्रों में यह उल्लेखित है कि त्रयोदशी के बाद मध्य रात्रि में चतुर्दशी आने पर इस दिन शिवरात्रि का व्रत करना अत्यंत लाभकारी होता है. इस बार भी यही स्थिति रहेगी, जिससे व्रति भक्तों को शिवरात्रि का पुण्य भी प्राप्त होगा. माघ मास की इस शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का तिलक हुआ था, इसलिए इस चतुर्दशी और शिवरात्रि का महत्व महाशिवरात्रि के समान माना गया है. हालांकि, जो भक्त केवल चतुर्दशी का व्रत करते हैं, उन्हें 28 जनवरी को व्रत करना चाहिए, क्योंकि इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक चतुर्दशी तिथि विद्यमान रहेगी. इस चतुर्दशी को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.

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सोम प्रदोष व्रत का महत्व

सोम प्रदोष व्रत का पालन करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है. इसके अतिरिक्त, संतान से संबंधित सभी इच्छाओं की पूर्ति इस दिन की जा सकती है. सोम प्रदोष के अवसर पर चंद्रमा से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए भोलेनाथ का दूध से अभिषेक करने का विधान है. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने के लिए सोम प्रदोष व्रत का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए.

सोम प्रदोष व्रत की विधि

प्रदोष व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और शिवजी का ध्यान करें. इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें. फिर एक मंडप तैयार करें और रंगोली बनाकर दीप जलाएं. कुश के आसन पर पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पूजा करें. इस दिन कुछ विशेष वस्तुओं का दान अवश्य करें.

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