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सोम प्रदोष व्रत पर इस तरह करें महादेव की पूजा, बरसेगी कृपा

Som Pradosh Vrat 2025: इस बार माघ माह का आयोजन अगले सप्ताह किया जाएगा। यह सोमवार के दिन पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत के रूप में भी जाना जा सकता है। इस बार सोमवार और प्रदोष व्रत का विशेष संयोग बन रहा है, जिसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

Som Pradosh Vrat 2025: ऐसा कहा जाता है कि प्रदोष का उपवास रखने से खुशी, स्वास्थ्य, सफलता और मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है,जिसका सीधा संबंध सूर्य ग्रह से भी है. इस खास दिन से जुड़ी पूजा अर्चना, प्रदोष काल, सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले शुरू होता है.

सोम प्रदोष व्रत पर करें भगवान शिव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रदोष व्रत का महत्व

इस बार का प्रदोष व्रत अत्यंत विशेष माना जा रहा है. क्योंकि जनवरी के अंतिम प्रदोष व्रत का आयोजन सोमवार को हो रहा है, जो कि हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित दिन है. इस पवित्र दिन पर पूजा करने और व्रत रखने से भक्तों की इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं. इसके अतिरिक्त, यह दिन जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली लाने का भी अवसर प्रदान करता है.

प्रदोष काल मे महादेव की पूजा विधि ऐसे करें ? प्रदोष पूजा विधि

  • प्रातःकाल सूर्यास्त के पहले स्नानादि से पवित्र होकर शिव-स्मरण करते हुए निराहार रहें, सायंकाल, सूर्यास्त से एक घण्टा बाद पुनः स्नान करके गंध, मदार पुष्प, बिल्वपत्र, धूप-दीप तथा नैवेद्य,सफेद पुष्प, जनेऊ, चंदन पूजन सामग्री एकत्र करें.
  • पांच रंगों को जैसे: लाल, पिला, हरा, सफेद, काला, नीला मिलाकर पद्म पुष्प की प्रकृति बनाकर आसन पर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और देवाधिदेव शंकर भगवान का पूजन करें.
  • पंचाक्षर मंत्र का जप करते हुए जल और ऋतुफल अर्पित करें, जल मे कच्चे दूध मिलाकर अर्पित करें,अर्पित करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल की धारा टूटनी चाहिए, और साथ ही गयात्री मंत्र का उच्चरण करते रहें ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.
  • जल चढ़ाते समय यदि आंखें खुली हुई हों, तो दृष्टि जलधारा पर टिकी हो और यदि भक्ति-भाव में आंखें बंद हों.
  • साथ ही प्रार्थना भगवान शिव के समक्ष श्रद्धा-भाव से करें.
  • शिव के साथ पार्वती जी और नंदी का पूजन भी करना चाहिए.
  • प्रदोष व्रत दोनों पक्षों की त्रयोदशी को करना शुभ होता है.
  • प्रदोष व्रत अति प्रशस्त तथा सभी के करने योग्य है, स्कन्द आदि पुराणों में इस व्रत की बड़ी महिमा बताई गई है.

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