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आज सोम प्रदोष व्रत के अवसर पर जरूर करें इस कथा का पाठ

Som Pradosh Vrat Katha in hindi: सोम प्रदोष व्रत की पूजा कथा में उल्लेखित है कि जब सोमवार के दिन त्रयोदशी तिथि आती है, तब इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, शिवजी को सोम प्रदोष व्रत करने वाले भक्त अत्यंत प्रिय होते हैं. इस व्रत का पालन करने वाले व्रती प्रदोष काल में शिवजी की पूजा और कथा करते हैं, जिससे उनकी कठिनाइयों का निवारण शिवजी अवश्य करते हैं.

Som Pradosh Vrat Katha: आज प्रदोष व्रत का आयोजन किया जा रहा है. सप्ताह के सभी दिनों में जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उसी दिन के नाम पर उस प्रदोष का नामकरण किया जाता है. आज सोमवार है, इसलिए आज सोम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. सोम प्रदोष के अवसर पर भगवान शंकर की आराधना के लिए व्रत करना चाहिए. इससे व्यक्ति के सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है तथा जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किसी भी प्रदोष व्रत के दिन त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल, अर्थात संध्या समय, का विशेष महत्व होता है. इस अवसर पर विशेष व्रत कथा को पढ़ने से शुभफल की प्राप्ति होती है, यहां से जानें

आज सोम प्रदोष व्रत के दिन बना है दिव्य संयोग, इस मुहूर्त में करें पूजा

सोम प्रदोष व्रत कथा

सोम प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी निवास करती थी. उसके पति का निधन हो चुका था, जिससे वह अपने और अपने पुत्र के लिए भिक्षाटन करके जीवन यापन करती थी. एक दिन, जब वह घर लौट रही थी, तो उसे एक घायल युवक मिला. ब्राह्मणी ने उसे अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल की. उसे यह नहीं पता था कि वह युवक विदर्भ का राजकुमार है, जिसे शत्रु सैनिकों ने पकड़ लिया था और उसके पिता को बंदी बना लिया था, इसलिए वह इधर-उधर भटक रहा था. राजकुमार ब्राह्मणी के घर रहने लगा.

अंशुमति ने अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलवाया, जिन्हें राजकुमार बहुत पसंद आया. इसके पश्चात राजकुमार और गंधर्व कन्या का विवाह संपन्न हुआ. ब्राह्मणी प्रदोष व्रत का पालन करती थी. उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने अपने राज्य विदर्भ से शत्रुओं को निकाल दिया और पुनः राज्य में सुखपूर्वक निवास करने लगा. राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपने राज्य में उच्च पद प्रदान किया. यह ब्राह्मणी द्वारा किए गए प्रदोष व्रत की महिमा थी, जिसने राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के भाग्य को बदल दिया, ठीक वैसे ही जैसे भगवान शंकर अपने भक्तों के भाग्य में परिवर्तन करते हैं. हर हर महादेव!

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