Swami Vivekananda Jayanti, National Youth Day, Stories With Moral, Yuva Diwas 2021: 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर युवा दिवस मनाया जाता है. स्वामी जी से जुड़ी कई रोचक कहानियां है. उनके प्रेरणादायक विचार आज भी युवाओं की पहली पसंद है. जिसे युवा आज भी अपना आदर्श मानते हैं. आइये जानते हैं स्वामी जी से जुड़ी कुछ बातें जिसकी वजह से वे आज महान हस्तियों में शुमार है. साथ ही साथ जानें उनकी कहानियों से जुड़ी सीख के बारे में भी जो विशेष संदेश देते है…
एक बार लंबी यात्रा पूरी करके स्वामी विवेकानंद जी अमेरिका में अपने निवास स्थान पर जब लौटे और खाना बना रहे थे तो कुछ बच्चे आकर वहां खड़े हो गए. बच्चे को भूखा देख स्वामीजी ने अपना भोजन उनमें बांट दिया. ऐसे में वहीं बैठी एक महिला ने उनसे पूछा, आपने अपना सब भोजन बच्चों में बांट दिया तो आप क्या खएंगे. स्वामीजी ने कहा- मां रोटी तो पेट की ज्वाला शांत करती है. इस पेट में न सही, उस पेट में ही सही. त्याग का आनंद ही अलग होता है.
सीख: इंसान को महान बनना है तो उनमें निस्वार्थ भाव से त्याग की भावना होनी चाहिए.
एक बार स्वामी विवेकानंद के एक विदेशी मित्र ने जब उनके गुरु से मिलने की इच्छा जतायी तो रामकृष्ण परमहंस से मिलने के बाद वह मित्र उनके पहनावे पर कमेंट कर दिया और कहा कि आप जैसे व्यक्तित्व का चरित्र निर्माण करने वाले यह कैसे गुरु है जिन्हें कपड़े पहनने का भी ढंग नहीं है. तब स्वामी विवेकानंद जी ने विनम्रता से कहा- आपके देश में चरित्र का निर्माण दर्जी करता होगा लेकिन हमारे भारत में चरित्र का निर्माण आचार-विचार से होते है.
सीख: मनुष्यों की पहचान उनके कपड़ों से नहीं करनी चाहिए बल्कि आचरण और विचार से करना चाहिए.
Also Read: Yuva Diwas Ki Shubhkamnaye, Wishes, Images, Quotes, Messages, Thoughts: उठो, जागो और तब तक रुको नहीं…देखें विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार, भेजें ढेर सारी शुभकामनाएं
एक बार स्कूल में अपने दोस्त छात्रों को लंच ब्रेक के दौरान स्वामी विवेकानंद जी कहानी सुना रहे थे. वे कहानी सुनाने में और बच्चे कहानी सुनने में इतना व्यस्त थे कि उन्हें मास्टर जी के आकर पढ़ाने की आवाज भी सुनाई नहीं दी और मास्टर इसे देख इतना गुस्सा गए की सभी से पाठ संबंधी सवाल करने लगे. कोई बता नहीं पा रहा था तो उन्होंने विवेकानंद से वही सवाल किया. वे बता दिए. मास्टर ने सभी को बेंच पर ख्ड़ा कर दिया सिवाय स्वामी जी के. तब स्वामी जी खड़े हुए और मास्टर के समक्ष अपनी गलती स्वीकार ली उन्होंने कहा- सर, मुझे भी खड़ा होना होगा, क्योंकि मैं ही सभी छात्रों से बात कर रहा था.
सीख: महान लोगों की निशानी है वे बुरे परिस्थिति में भी सच बोलते हैं.
Posted By: Sumit Kumar Verma