करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियां मनाती हैं. यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है. ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है. इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है.
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात उस चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन प्रातः स्नान करके अपने सुहाग (पति) की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें. उस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें. पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें. शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य हेतु बनाएं. इसके बाद 10 अथवा 13 करवे अपनी सामर्थ्य के अनुसार रखें.
पूजन विधि
बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें. मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें. पश्चात यथाशक्ति देवों का पूजन करें.
पूजन के लिए निम्न मंत्र बोलें
ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।
भोजन के पश्चात ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा दें. पति की माता (अर्थात अपनी सासूजी) को उपरोक्त रूप से अर्पित एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंट तथा आशीर्वाद लें. यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें. इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें.
करवा में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें. एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें. करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें. सायंकाल चंद्रमा के उदित हो जाने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें. इसके पश्चात ब्राह्मण, सुहागिन स्त्रियों व पति के माता-पिता को भोजन कराएं.
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल करवा चौथ का चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा. चंद्रमा रात को 08:11 पर निकलेगा. वहीं करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा. करवा चौथ का व्रत रख रही महिलाओं और लड़कियों को शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना चाहिए.
इसके लिए चांद निकलने से कम से कम एक घंटा पहले ही पूजा शुरू कर दें. मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करके करवा रख लें. वहीं पूजा की थाली में दीपक, रोली, सिंदूर आदि रख लें. पूजा करने के बाद करवा चौथ व्रत की कथा सुनें. चांद निकलने पर उसे अर्ध्य दें. पति का मुंह छलनी से देखें और उनके हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें.
संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
मो. 8080426594 – 9545290847
Posted by: Radheshyam Kushwaha