Surya Grahan 2023: इस दिन लगेगा साल का आखिरी सूर्यग्रहण, जानें सूतक काल और कब कहां दिखाई देगा ग्रहण
Surya Grahan 2023: अक्टूबर महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर, शनिवार को लगेगा. वहीं 29 अक्तूबर दिन रविवार को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है.
Surya Grahan 2023: अक्टूबर का महीने बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस महीने साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर दिन शनिवार को अश्विन अमावस्या के दिन कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा. इस दिन सर्व पितृ अमावस्या भी है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं में गिना जाता है और इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा.
कब लगेगा सूर्य ग्रहणयह ग्रहण 14 अक्टूबर को रात 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा. यह ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में होगा. लेकिन इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव राशि चक्र की सभी 12 राशियों पर पड़ेगा.
साल का दूसरा सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास, आदि जगहों पर दिखाई देगा.
सूतक काल मान्य होगा या नहींसूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. सूतक काल में पूजा-पाठ की मनाही होती है. इस अवधि में भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं करना चाहिए. लेकिन सूतक काल केवल तभी मान्य होता है, जब सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान हो. साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा.
कैसे लगता है सूर्य ग्रहणविज्ञान के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने से सूर्य ग्रहण लगता है. जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आता है तो पृथ्वी से सूर्य का प्रकाश वाला भाग दिखाई नहीं देता और उस समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश न पड़कर चंद्रमा की परछाई नजर आने लगती है. इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
सूर्य और चंद्रमा का ग्रास करने आते हैं राहु-केतुराहु और केतु को नौ ग्रहों में छद्म ग्रह का स्थान मिला. इस घटना के बाद से राहु और केतु हर साल चंद्रमा और सूर्य का ग्रास करने आते हैं, क्योंकि इन दोनों ने ही अमृत पान के समय उस राक्षस का भेद उजागर किया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु और केतु के कारण ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है.