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अमावस्या तिथि को लगता है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण की घटना अमावस्या तिथि पर होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस दिन को न्यू मून के दौरान सूर्य ग्रहण का अनुभव किया जाता है.
वलयाकार सूर्य ग्रहण कब होता है?
इस प्रकार के ग्रहण में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक सीध में होते हैं, लेकिन चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता. इस स्थिति में सूर्य के बाहरी किनारे एक चमकदार वलय के रूप में दिखाई देते हैं. जब आसमान में यह स्थिति बनती है, तो पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी कम हो जाती है और अंधकार छा जाता है.
क्या भारत में रिंग ऑफ फायर का दृश्य दिखाई देगा?
सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को रात 9 बजकर 13 मिनट पर प्रारंभ होगा और 3 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा. इस समय भारत में रात का समय होगा, जिससे यह सूर्य ग्रहण भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा. इसके परिणामस्वरूप, भारतीय नागरिक रिंग ऑफ फायर का दृश्य भी अपनी आंखों से नहीं देख सकेंगे.
साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण
54 वर्षों में अपने प्रकार का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण था. यह वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण सूर्य ग्रहण भी माना गया.
कल है अंतिम सूर्य ग्रहण
साल 2024 का अगला सूर्य ग्रहण कल, अर्थात् 2 अक्टूबर 2024 (बुधवार) को होगा.
सूर्य ग्रहण 2024 का सूतक काल
यह सूर्य ग्रहण भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. यदि यह भारत में दिखाई देता, तो इसका सूतक काल 12 घंटे पूर्व से प्रारंभ हो जाता.
सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति कैसी होगी
सूर्य ग्रहण कन्या राशि में होगा. यह ग्रहण 2 अक्टूबर को रात 9:13 बजे प्रारंभ होगा और अगले दिन सुबह 3:17 बजे समाप्त होगा. इस दिन सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध और केतु उपस्थित रहेंगे, जिन पर गुरु और मंगल की दृष्टि होगी.
भारत के समय के अनुसार सूर्य ग्रहण का समय क्या होगा
सूर्य ग्रहण बुधवार, 2 अक्टूबर को होगा। भारत के समयानुसार, यह ग्रहण रात 9:13 बजे प्रारंभ होगा और रात 3:17 बजे समाप्त होगा.
इस साल लगे दो सूर्य ग्रहण
इस वर्ष 2024 में दो सूर्य ग्रहण लगे हैं. बुधवार, 2 अक्टूबर को होने वाला सूर्य ग्रहण 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा. इससे पूर्व, 8 अप्रैल को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण देखा गया था.
सूर्य ग्रहण का समय
सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 2 अक्टूबर 2024 को रात 9:13 बजे प्रारंभ होगा और यह रात 3:17 बजे समाप्त होगा.इस समय भारत में रात का समय होगा, इसलिए यह ग्रहण भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा. हालांकि, कई अन्य देशों में इसे देखा जा सकेगा.
सूतक काल और श्राद्ध पर कंफ्यूजन
श्राद्ध पक्ष में ग्रहण के प्रभाव के कारण कुछ व्यक्तियों में यह भ्रम उत्पन्न हो रहा है कि क्या इस दिन श्राद्ध कर्म किया जाएगा. यदि आप भी इसी प्रकार की शंका में हैं, तो आपको सूचित किया जाता है कि यह ग्रहण भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा. अतः इस ग्रहण का सूतक काल भारत में लागू नहीं होगा. इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस ग्रहण की कोई मान्यता नहीं है.
सूर्य ग्रहण क्या है ?
चंद्रमा को पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में 27 दिन का समय लगता है. जब चंद्रमा इस चक्कर के दौरान ऐसी स्थिति में आता है कि वह सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है, तब सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
क्या होता है सूतक काल
सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व से लेकर इसके समाप्त होने तक सूतक काल माना जाता है। इस अवधि में शुभ कार्यों को करने से मना किया जाता है. मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. हालांकि, जहां ग्रहण दिखाई नहीं देता, वहां यह नियम लागू नहीं होता.
इन जगहों पर नजर आएगा साल का आखिरी सूर्यग्रहण
साल 2024 का अंतिम वलयाकार सूर्य ग्रहण प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका, अर्जेंटीना, फिजी, चिली और अन्य क्षेत्रों में देखा जा सकेगा. हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा.
जानें कब घटती है सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना
वैज्ञानिकों के अनुसार, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं, तब एक खगोलीय घटना, जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है, घटित होती है. इसका अर्थ है कि जब चंद्रमा अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंचता. चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है, जिससे उसकी दूरी में परिवर्तन होता है. कभी चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है और कभी दूर.जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है, तो वह बड़ा दिखाई देता है, जबकि दूर होने पर उसका आकार छोटा नजर आता है.सूर्य ग्रहण के दौरान, यदि चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है, तो वह अपने बड़े आकार के कारण सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है। वहीं, जब चंद्रमा दूर होता है, तो वह केवल सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है.
पितृपक्ष की शुरूआत में लगा था साल का आखिरी चंद्रग्रहण
अंतिम चंद्रग्रहण 18 सितंबर को हुआ था। वहीं, वर्ष का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल 2024 को हुआ था. यह पहला सूर्यग्रहण एक पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) था, जो भारत में दृष्टिगोचर नहीं हुआ.
पितृपक्ष की शुरूआत में लगा था साल का आखिरी चंद्रग्रहण
अंतिम चंद्रग्रहण 18 सितंबर को हुआ था। वहीं, वर्ष का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल 2024 को हुआ था. यह पहला सूर्यग्रहण एक पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) था, जो भारत में दृष्टिगोचर नहीं हुआ.
सूर्यग्रहण का इन राशियों पर पड़ेगा असर
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ परिणाम ला सकता है. इस अवधि में आपको व्यवसाय में उन्नति प्राप्त हो सकती है. इसके अतिरिक्त, नौकरी करने वाले व्यक्तियों को अपने कार्यस्थल पर नई जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ सकता है.
सूर्य ग्रहण क्या है ?
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी लगभग एक सीध में होते हैं. यह घटना अमावस्या के दिन होती है.
क्या सूतक काल होगा मान्य
इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण दो अक्टूबर की रात को होगा. इसके कारण 12 घंटे का सूतक काल लागू होगा। हालांकि, चंद्र ग्रहण रात में होने के कारण भारत में इसे देखा नहीं जा सकेगा. इसलिए, सूतक काल मान्य नहीं होगा.
सूर्य ग्रहण को देखने का सुरक्षित तरीका क्या है?
सूर्य ग्रहण को बिना किसी सुरक्षा के देखना उचित नहीं है. इसे सुरक्षित रूप से देखने के लिए एल्युमिनाइज्ड माइलर, ब्लैक पॉलीमर, या शेड नंबर 14 के वेल्डिंग ग्लास जैसे उपयुक्त फिल्टर का उपयोग करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, टेलीस्कोप के माध्यम से सूर्य की छवि को व्हाइट बोर्ड पर भी देखा जा सकता है.
लगने जा रहा है वलयाकार सूर्य ग्रहण
भारत में रात होने के कारण यह वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा. हालांकि, भारतीय नागरिक इस घटना को ऑनलाइन लाइव देख सकेंगे.
किस समय दिखेगा साल का आखिरी सूर्यग्रहण
नासा (NASA) के अनुसार, वलयाकार सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात 9:13 बजे प्रारंभ होगा और सुबह 3:17 बजे तक जारी रहेगा, इस प्रकार, वलयाकार सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 6 घंटे 4 मिनट होगी, हालांकि, रात के समय होने के कारण भारत में यह वलयाकार सूर्य ग्रहण दृष्टिगोचर नहीं होगा,
इन देशों में होगा सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका के उत्तरी क्षेत्रों के अलावा आर्कटिक, अर्जेंटीना, ब्राजील, पेरू, फिजी, चिली, होनोलूलू, ब्यूनस आयर्स, अंटार्कटिका और दक्षिण अमेरिका तथा प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जाएगा,
इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चंद्र ग्रहण के आरंभ होने से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले से लेकर इसके समाप्ति तक का समय सूतक काल माना जाता है, सूतक काल को अशुभ माना जाता है, और इस दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद रहते हैं, हालांकि, जहां ग्रहण दिखाई नहीं देता, वहां सूतक काल मान्य नहीं होता, इस बार 2 अक्टूबर का सूर्य ग्रहण यहां नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा,
कब लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर (बुधवार) को होगा, यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annual Solar Eclipse) के रूप में प्रकट होगा, इस ग्रहण के समय आसमान में एक अद्वितीय दृश्य देखने को मिलेगा, इस खगोलीय घटना के दौरान आसमान में आग की अंगूठी (Ring Of Fire) का दर्शन होगा,