Third Mangla Gauri Vrat 2024: मंगला गौरी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, यह व्रत सावन के महीने में मंगलवार के दिन मनाया जाता है और इसे भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित किया जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के सुखी वैवाहिक जीवन और कुंवारी कन्याओं के मनचाहा वर पाने की कामना के साथ किया जाता है.
मंगला गौरी व्रत पूजा मुहूर्त
आज सावन मास का तीसरा मंगलवार है. हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. आज सावन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 06 अगस्त को है. आज ब्रह्म मुहूर्त 03 बजकर 53 मिनट से लेकर 04 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 29 मिनट से लेकर से 12 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
मंगला गौरी व्रत का धार्मिक महत्व
मंगला गौरी व्रत शिव और पार्वती के अटूट प्रेम का प्रतीक है. यह व्रत विवाहित जोड़ों को एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को बढ़ाने में मदद करता है, जो महिला उपवास करने में सक्षम नहीं है उनको कम से कम भगवान शिव तथा माता पार्वती का पूजन करती है, व्रत का फल मिलेगा. इस त्योहार में खास बात यह होता है. महिलाए एक दूसरे को दान करती है उनकी संख्या 16 होती है बाद वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती है, इस विधि को पूरा करने के बाद व्रती 16 बाती वाले दिया से देवी की आरती करती है. व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विसर्जित कर दी जाती है.
सुख और समृद्धि: यह व्रत सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने के लिए माना जाता है.
मनोकामना पूर्ण: यह माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- व्रत की विधि
- मंगला गौरी व्रत की विधि कुछ इस प्रकार है-
- व्रती को श्रावण मास के मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठना चाहिए.
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करें.
- मंगला गौरी के प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद या फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें.
- प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक जलाएं. दीपक ऐसा हो जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें.
फिर निम्न मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें-
पूजा सामग्री: कलश, रोली, चंदन, फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, गंगाजल, मौली, दुर्गा सप्तशती, शिव पुराण, शिवलिंग, पार्वती जी की प्रतिमा
पूजा का समय: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर पूजा करें.
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. फिर माता गौरी के सामने घी का दीपक जलाकर रखें. विधि-विधान से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें पूजा के दौरान देवी को लाल रंग के पुष्प और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. इसके बाद पूजा के अंत में आरती करें.
व्रत की कथा का महत्व
मंगला गौरी व्रत की कथा में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह और उनके प्रेम की कहानी होती है। यह कथा हमें सच्चे प्रेम और समर्पण का महत्व सिखाती है।
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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