आंध्र प्रदेश का चित्तूर जिला जहां तिरुपति में स्थित है तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर.जिसे तिरुपति बालाजी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. भगवान वेंकटेश्वर को विष्णु भगवान का अवतार कहा जाता है. रोजाना लाखों श्रद्धालु आकर दर्शन करते हैं.वहीं इस मंदिर में दान का भी महत्व काफी ज्यादा है.यहां भक्तों के तरफ से भगवान बालाजी के दान पेटी में दान करने के अलावा भारी मात्रा में सोने का भी चढ़ावा बालाजी को चढ़ता है.इस मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर बताया जाता है.
क्या है सोना चढ़ाने के पीछे की मान्यता :
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान वेंकटेश्वर जब माता पद्मावती से विवाह कर रहे थे तो उन्हें पैसे की कमी महसूस हुई और इसके लिए वो धन के स्वामी कुबेर की शरण मे गए.भगवान वेंकटेश्वर ने उनसे रुपए और सोने की गिन्नियां मांगी.कुबेर ने कर्ज स्वरूप उन्हें धन दे तो दिया लेकिन साथ ही उनसे एक वचन लिया.उन्होंने कहा कि इस धन को कलयुग के अंत तक उन्हें चुका देना होगा.और कर्ज चुकाने तक उन्हें सूद चुकाते रहना होगा. ऐसी मान्यता है कि आज भी भगवान वेंकटेश्वर पर वह कर्ज है और उनके भक्त इस कर्ज को चुकाने में उनकी भरपूर मदद करते हैं.और भक्तों के अंदर यह विश्वास भी रहता है कि वो जितना भी धन देकर भगवान की मदद करेंगे उससे अधिक उनकी झोली में धन भगवान के द्वारा भरी जाएगी.इसलिए मंदिर परिसर के चारो तरफ दान पेटी दिखते हैं.जिसे वहां हुंडी कहा जाता है.
कंपनी के शेयर तक श्रद्धालु कर देते हैं दान :
मंदिर को कुछ श्रद्धालुओं कंपनी के शेयर तक दान में दे देते हैं ऐसा देखते हुए मंदिर का डीमैट अकाउंट तक खोल दिया गया है.यह खाता भगवान बालाजी के नाम पर है. इस मंदिर में भगवान बालाजी को हर साल करीब एक टन सोना दान में मिलता है. मुख्य मंदिर परिसर के अंदर किसी भी तरह की फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है और यदि मंदिर परिसर की बात करें तो अंदर चारो तरफ सोने से मंदिर की सजावट को देखा जा सकता है. मंदिर के दान पेटी को जब खोला जाता है तो बड़ी-बड़ी बोरियों में इससे दान सामग्री को भरकर एक हॉल में रखा जाता है.और फिर मंदिर कमिटी के लोग बैठकर सभी दान-सामग्री को अलग-अलग कैटगरी में बांटते हैं.
मंदिर परिसर में है भव्य रसोईघर :
यहां मंदिर परिसर में एक भव्य रसोईघर भी है जहां रोजाना लाखों श्रद्धालुओं के लिए भोजन तैयार होता है.इस रसोईघर में हजार से अधिक कर्मचारी हर समय कार्यरत रहते हैं.जो सुबह से लेकर रात्रि तक के भोजन व नाश्ते को तैयार करते हैं और विशाल आकर के पात्र में उस भोजन को रखा जाता है.