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Tulasi Vivah 2020: 4 महीने की नींद पूरा कर जग गये है भगवान विष्णु, जनिए आज शाम को किस मुहूर्त में होगा तुलसी विवाह…

Tulasi Vivah 2020: आज देव प्रबोधिनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. इसी दिन भगवान विष्णु का शालिग्राम के रूप में तुलसी के साथ विवाह करवाने की भी परंपरा है.

Tulasi Vivah 2020: आज देव प्रबोधिनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. इसी दिन भगवान विष्णु का शालिग्राम के रूप में तुलसी के साथ विवाह करवाने की भी परंपरा है. आज भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. शाम को घरों और मंदिरों में दीये जलाए जाते हैं और गोधूलि वेला यानी सूर्यास्त के समय भगवान शालिग्राम और तुलसी विवाह करवाया जाता है.

चार महीने बाद योग निद्रा से आज जागते हैं भगवान विष्णु

शिवपुराण के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर को मारा था. भगवान विष्णु और दैत्य शंखासुर के बीच युद्ध लंबे समय तक चलता रहा. युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु बहुत अधिक थक गए. तब वे क्षीरसागर में आकर सो गए. उन्होंने सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंप दिया. इसके बाद कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी को अपनी नींद पूरा कर जगे थे. तब शिवजी सहित सभी देवी-देवताओं ने भगवान विष्णु की पूजा की और वापस सृष्टि का कार्यभार उन्हें सौंप दिया. इसी वजह से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है.

4 महीने पाताल में रहने के बाद आज क्षीर सागर लौटते हैं भगवान विष्णु

वामन पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी. उन्होंनें विशाल रूप लेकर दो पग में पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग लोक ले लिया. तीसरा पैर बलि ने अपने सिर पर रखने को कहा. पैर रखते ही राजा बलि पाताल में चले गए. भगवान ने खुश होकर बलि को पाताल का राजा बना दिया और वर मांगने को कहा.

बलि ने कहा आप मेरे महल में निवास करें. भगवान ने चार महीने तक उसके महल में रहने का वरदान दिया. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल में बलि के महल में निवास करते हैं. फिर कार्तिक महीने की इस एकादशी पर अपने लोक लक्ष्मीजी के साथ रहते हैं.

वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु बने पत्थर के शालिग्राम

आज देवउठनी एकादशी है. इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी विवाह कराया जाता है. आज भगवान शालिग्राम के साथ तुलसीजी का विवाह होता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा नामक अपनी भक्त के साथ छल किया था. इसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था, लेकिन लक्ष्मी माता की विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थीं. उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालिग्राम के विवाह का चलन शुरू हुआ.

एकादशी तिथि और तुलसी विवाह का समय

एकादशी तिथि प्रारंभ 25 नवंबर दिन बुधवार की सुबह 2 बजकर 42 मिनट से शुरू है

एकादशी तिथि समाप्त 26 नवंबर दिन गुरुवार की सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर

द्वादशी तिथि प्रारंभ 26 नवंबर दिन गुरुवार की सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर

द्वादशी तिथि समाप्त 27 नवंबर दिन शुक्रवार की सुबह 7 बजकर 46 मिनट पर

चौघड़िया

सुबह 06.01 से 7.30 बजे तक लाभ

सुबह 07.31 से 9.00 बजे तक अमृत

सुबह 09.01 से 10.30 बजे तक काल

सुबह 10.31 से 12.00 बजे तक शुभ

दोपहर 12.01 से 1.30 बजे तक रोग

दोपहर 01.31 से 03.00 बजे तक उद्वेग

दोपहर 03.01 से 04.30 बजे तक चर

शाम 04.31 से 06.00 बजे तक लाभ

राहुकाल 12 से 3 1:30 तक।

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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