Vishnu Ji Ki Aarti: आज है कामिका एकादशी, यहां देखे विष्णु भगवान की आरती और प्रभावशाली मंत्र, ॐ जय जगदीश हरे…

Kamika Ekadashi 2020: आज कामिका एकादशी व्रत है. आज व्रत रखकर भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. भगवान कृष्ण ने कामिका एकादशी व्रत के महत्व के बारे में धर्मराज युद्धिष्ठिर को बताया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2020 7:54 AM

Kamika Ekadashi 2020: आज कामिका एकादशी व्रत है. आज व्रत रखकर भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. भगवान कृष्ण ने कामिका एकादशी व्रत के महत्व के बारे में धर्मराज युद्धिष्ठिर को बताया था. सावन मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकदाशी के नाम से जाना जाता है. यहां देखें भगवान विष्णु की आरती और मंत्र…

भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥


विष्णु भगवान के मंत्र

– ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

– श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

– ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

– ॐ विष्णवे नम:

– ॐ हूं विष्णवे नम:

– ॐ नमो नारायण।

श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र

– ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।

भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

News posted by : Radheshyam kushwaha

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