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Utpanna Ekadashi 2022: आज है उत्पन्ना एकादशी, जानिए व्रत कथा और पूजन विधि

Utpanna Ekadashi 2022 Shubh Muhurat and Vrat Katha: मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल उत्पन्ना एकादशी आज 20 नवंबर 2022, रविवार को है. आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा के बारे में

Utpanna Ekadashi 2022 Shubh Muhurat and Vrat Katha: आज उत्पन्ना एकादशी है. साल में कुल 24 और अधिकमास होने पर 26 एकादशी पड़ती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एकादशी व्रत की शुरुआत कैसे हुई. उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत मानी जाती है. उत्पन्ना एकादशी की पूजा में इससे संबंधित व्रत कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए. आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा के बारे में

उत्पन्ना एकादशी 2022 पर पांच शुभ योग

20 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं, जिसमें प्रीति योग, आयुष्मान योग, द्विपुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं.

प्रीति योग – 20 नवंबर को प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक

आयुष्मान योग – 20 नवंबर, रात 11 बजकर 04 मिनट से 21 नवंबर, रात 09 बजकर 07 मिनट

सर्वार्थ सिद्धि योग – 20 नंवबर, सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट

अमृत सिद्धि योग- 20 नंवबर, सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट

द्विपुष्कर योग- 20 नवंबर, देर रात 12 बजकर 36 मिनट से 21 नवंबर, सुबह 06 बजकर 48 मिनट तक

उत्पन्ना एकादशी कथा (Utpanna Ekadashi Katha)

सतयुग में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस था जिसके पुत्र का नाम था मुर. महापराक्रमी और बलवान दैत्य मुर ने इंद्र, वरुण, यम, अग्नि, वायु, ईश, चंद्रमा, नैऋत आदि सभी के स्थान पर अपना आधिपत्या स्थापित कर लिया था. सभी देवता उससे पराजित हो चुके थे. अपनी व्यथा लेकर सभी कैलाशपति शिव की शरण में पहुंचे और सारा वृत्तांत कहा. देवों के देव महादेव ने देवताओं से इस परेशानी के निवारण के लिए जगत के पालनहार, कष्टों का नाश करने वाले भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहा.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से पूजा-पाठ करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है.

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