Vaikunth Chaturdashi 2020: हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा जाता है. इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर दिन शनिवार को यानि आज है. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करने पर व्यक्ति को मृत्यु के बाद वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था. आज के दिन भगवान विष्णु के साथ ही देवों के देव महादेव की भी पूजा करने का विधान है. आइए जानते हैं कि वैकुण्ठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त पूजा विधि, मंत्र और इसका महत्व…
बैकुंठ चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 28 नवंबर की सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगी
बैकुंठ चतुर्दशी तिथि का समापन 29 नवंबर की दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर होगी
बैकुंठ चतुर्दशी निशिथ काल: रात 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.
बैकुंठ चतुर्दशी निशिथ काल की अवधि: 55 मिनट
शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
वन्दे महेशं सुरसिद्धसेवितं भक्तै: सदा पूजितपादपद्ममम्।
ब्रह्मेन्द्रविष्णुप्रमुखैश्च वन्दितं ध्यायेत्सदा कामदुधं प्रसन्नम्।।
– पद्मनाभोरविन्दाक्ष: पद्मगर्भ: शरीरभूत्। महर्द्धिऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वज:।।
अतुल: शरभो भीम: समयज्ञो हविर्हरि:। सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जय:।।
– ॐ हूं विष्णवे नम:, ॐ विष्णवे नम:।
– ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
– श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवाय।
आज सबसे पहले स्नान करें. इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और विष्णु जी के समक्ष हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प करें. फिर पूरे दिन विष्णु और शिव जी के नाम का उच्चारण करें. शाम के समय 108 पुष्पों के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके अगले दिन सुबह भगवान शिव का पूजन करें. इसके अगले दिन सुबह भगवान शिव का पूजन करें. फिर अपने सामर्थ्यनुसार जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं.
वैकुण्ठ चतुर्दशी एक ऐसी तिथि है, जो वर्ष में एक बार उपलब्ध होती है और इसका विशेष महत्व है. वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु तथा भगवान शिव की पूजा एक साथ की जाती है. ऐसा बहुत ही कम अवसर प्राप्त होता है, जब इन दोनों देवों की पूजा एक साथ होती है. ऐसी भी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी को योग निद्रा से जागृत होते हैं, उसके बाद से ही भगवान शिव के ध्यान में लीन हो जाते हैं. आज के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को उनके धाम वैकुण्ठ में स्थान प्राप्त होता है. इस दिन श्राद्ध और तर्पण कर्म करना भी उत्तम माना जाता है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए योद्धाओं का श्राद्ध वैकुण्ठ चतुर्दशी को ही कराया था.
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