Loading election data...

Vaishakh Amavasya 2021: कब है वैशाख अमावस्या, जानिए इस दिन धर्म-कर्म और पितरों के तर्पण का महत्व

Vaishakh Amavasya 2021: वैशाख का महीना हिंदू वर्ष का दूसरा माह होता है. हिंदू धर्म में वैशाख का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इसी माह से त्रेता युग शुरू हुआ था. वैशाख अमावस्या को धर्म-कर्म और पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2021 3:49 PM

Vaishakh Amavasya 2021: वैशाख का महीना हिंदू वर्ष का दूसरा माह होता है. हिंदू धर्म में वैशाख का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इसी माह से त्रेता युग शुरू हुआ था. वैशाख अमावस्या को धर्म-कर्म और पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है. काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं. हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या आती है. शास्त्रों में वैशाख अमावस्या को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली अमावस्या कहा जाता है.

अमावस्या तिथि कब से कब तक रहेगी

इस साल वैशाख अमावस्या 11 मई 2021 दिन मंगलवार को है. अमावस्या तिथि 11 मई से शुरू होकर 12 मई को सुबह 12 बजकर 29 मिनट रहेगी. इस दिन सौभाग्य व शोभन योग बन रहे हैं.

सौभाग्य योग का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कई शुभ योगों का वर्णन किया गया है. जैसे अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु-पुष्य योग, पुष्कर योग, त्रिपुष्कर, द्विपुष्कर योग आदि। इसी तरह सौभाग्य नाम के एक योग होता है, जिसमें विवाह करना शुभ माना गया है.

शोभन योग का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में शोभन योग शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए उत्तम माना गया है. मान्यता है कि इस शुभ योग में की जाने वाली यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है. यात्रा के दौरान किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है.

पूजा विधि

  • इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें.

  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें.

  • वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए.

  • अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए.

  • निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

Next Article

Exit mobile version