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Vat Savitri Puja 2021: आज भोग के रूप में चढ़ाएं आम का मुरब्बा, भिगोए चने, पूरी-पुए, मिलेगा अखंड सौभाग्य का मिलेगा वर, जानें प्रसाद बनाने की विधि

Vat Savitri Puja 2021, Bhog Recipe, Prasad: वट सावित्री पूजा में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की काफी महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि वटवृक्ष में साक्षात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. जो महिलाएं वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करती हैं व कथा सुनती है. उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उन्हें अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु का वर भी मिलता है. इस दिन खानपान को लेकर भी विशेष मान्यताएं हैं और विशेष प्रकार के भोग भी लगाए जाते हैं. इनमें आम का मुरब्बा, काले चने, पूरी पूआ आदि शामिल है...

Vat Savitri Puja 2021, Bhog Recipe, Prasad: वट सावित्री पूजा में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की काफी महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि वटवृक्ष में साक्षात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. जो महिलाएं वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करती हैं व कथा सुनती है. उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उन्हें अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु का वर भी मिलता है. इस दिन खानपान को लेकर भी विशेष मान्यताएं हैं और विशेष प्रकार के भोग भी लगाए जाते हैं. इनमें आम का मुरब्बा, काले चने, पूरी पूआ आदि शामिल है…

वट सावित्री पूजा के दिन सूर्य ग्रहण और शनि जयंती भी

आपको बता दें कि इस बार वट सावित्री पूजा ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को पड़ रहा है. 10 जून को पड़ने वाले इस पूजा के दिन सूर्य ग्रहण और शनि जयंती भी पड़ रही है.

कहां-कहां मनाया जाता है ये व्रत

यह व्रत देश के कई राज्यों में मनाया जाता है खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा व अन्य स्थानों पर. जिसे शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व उनके तरक्की के लिए करती है. कई महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती है तो कई फलाहार पर रहती हैं.

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कौन-कौन से प्रसाद जरूरी


पूरी-पुआ का प्रसाद

आपको बता दें कि पूजा के दौरान कुछ विशेष प्रकार के प्रसाद चढ़ाने की परंपरा होती है. प्रसाद के तौर पर बनती है पूरी और पुआ जरूर चढ़ाना चाहिए. ज्यादातर भारतीय त्योहारों में पुड़ियां मुख्य प्रसाद होता है. पुए बनाने के लिए सामग्री के तौर पर आंटे, चीनी, पानी और मेवे की जरूरत पड़ती है. आंटे को पानी, चीनी और मेवे के साथ मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार कर लिया जाता है. फिर इसके छोटे-छोटे गोले बनाकर इसे तला जाता है. जिसे कई लोग गुलगुल्ला भी कहते है.

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काले चने का प्रसाद

प्रसाद के तौर पर भी जितने भी भिगोए काले चने भी चढ़ाने की परंपरा होती है. पूजा के बाद इसे सीधे निगलने की परंपरा होती है. साथ ही साथ इस दिन इसकी सब्जी भी बनायी जाती है.

आम का मुरब्बा

क्योंकि वट सावित्री व्रत गर्मी के मौसम में आता है इसलिए आसानी से आम उपलब्ध हो जाता है. आम के मुरब्बे पूर्वांचल में खासतौर पर फेमस है. यह कच्चे आम की मीठी चटनी के रूप में बनता है.

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खरबूजा

वट सावित्री पूजा का सबसे जरूरी प्रसाद खरबूजा माना गया है. गर्मियों में इसकी बिक्री काफी अधिक होती है. जो आसानी से उपलब्ध हो जाता है.

ठेकुआ-बालूशाही

कई महिलाएं तीज, जीतिया की तरह वट सावित्री के दिन भी ठेकुआ और बालूशाही भोग के तौर पर बनाती हैं.

Posted By: Sumit Kumar Verma

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