Vat Savitri Vrat 2021: पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं आज ऐसे करें वट सावित्री पूजा, बरगद वृक्ष की पूजा से ही सावित्री को पति सत्यवान के प्राण मिले थे वापस

Vat Savitri Vrat 2021, Puja Ka Samay, Puja Kaise Karte Hai, Kahani, Significance, Vrat Katha Rules: अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती है. हर वर्ष की तरह इस साल भी ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को यह उपवास पड़ रहा है. 10 जून को वट सावित्री पूर्णिमा के दिन शनि जयंती और सूर्य ग्रहण का संयोग भी देखने को मिलेगा. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है. उनकी परिक्रमा कर पति के लंबी आयु की कामना करती है. वहीं, कुछ महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं. तो आइए जानते हैं इस दिन के महत्व, कथा, मान्यताएं और पूजा विधि के बारे में...

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2021 7:36 AM
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Vat Savitri Vrat 2021, Puja Ka Samay, Puja Kaise Karte Hai, Kahani, Significance, Vrat Katha, Rules: अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती है. हर वर्ष की तरह इस साल भी ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को यह उपवास पड़ रहा है. 10 जून को वट सावित्री पूर्णिमा के दिन शनि जयंती और सूर्य ग्रहण का संयोग भी देखने को मिलेगा. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है. उनकी परिक्रमा कर पति के लंबी आयु की कामना करती है. वहीं, कुछ महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं. तो आइए जानते हैं इस दिन के महत्व, कथा, मान्यताएं और पूजा विधि के बारे में…

वट सावित्री पूजा का शुभ मुहूर्त

  • अमावस्‍या तिथि आरंभ: 9 जून 2021, बुधवार दोपहर 01 बजकर 57 मिनट

  • अमावस्‍या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, शाम 04 बजकर 22 मिनट तक

  • व्रत रखा जाएगा: 10 जून 2021, गुरुवार को

क्या है महत्व का मान्यताएं

  • ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री के दिन ही माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लेकर आयी थीं.

  • मान्यता यह भी है कि बरगद के पेड़ में साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, महेश अर्थात त्रिदेव का वास होता है. जिनकी पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वर प्राप्त होता है.

  • कहा जाता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को जीवित करवाने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे ही कठोर तपस्या की थी.

कैसे करें वट सावित्री पूजा

  • इस दिन महिलाएं जल से सींचकर हल्दी के मिश्रण वाले कच्चे सूत को लपेटते हुए बरगद वृक्ष की परिक्रमा करती है.

  • अमावस्या के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठें

  • स्‍नानादि करें,

  • सूर्य को अर्घ्‍य दें

  • व्रत करने का संकल्‍प लें

  • फिर नए स्वच्छ वस्त्र धारण करें, सोलह श्रृंगार करें.

  • इसके बाद पूजन की सभी सामग्री को एक टोकरी में सजा लें

  • फिर आसपास के वट वट (बरगद) वृक्ष के पास जाएं

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  • गंगाजल से पूजा करने वाले स्थान को अच्छी तरह शुद्ध कर लें

  • पूजन की सभी सामग्रियां वहां रखें और स्थान ग्रहण करें.

  • अब सत्यवान व सावित्री माता की मूर्ति को स्थापित करें.

  • फिर दीपक, रोली, धूप, भिगोए चने, सिंदूर, मिष्ठान, फल आदि वृक्ष पर अर्पित व इनसे पूजा करें.

  • फिर धागे को पेड़ में लपेटें.

  • याद रहें बरगद की परिक्रमा कम से कम 5 बार जरूर करें. संभव हो तो 11, 21, 51 या 108 बार भी परिक्रमा कर सकती हैं.

  • फिर वट वृक्ष को पंखे से हवा दें.

  • घर पहुंचने के बाद पति को प्रणाम करके उन्हें भी पंखे की हवा दें और उन्हें प्रसाद भी खिलाएं

  • फिर उनके हाथ से जल ग्रहण करें

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Posted By: Sumit Kumar Verma

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