Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत के शुभ दिन पर बरगद वृक्ष की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करने से महिलाओं की सुखी वैवाहिक जीवन की कामना पूरी होती है. साथ ही वैवाहिक जीवन में आ रही किसी भी तरह की परेशानी या बाधा दूर हो जाती है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा करने के बाद, बरगद के पेड़ के चारों ओर सूत भी बांधती हैं और इस दौरान परिक्रमा करते हुए अपने मन की इच्छा पूरी होने की कामना करती हैं. अक्सर इस व्रत को लेकर यह सवाल मन में आता है कि वट सावित्री पूजा के दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा क्यों करती हैं. इस प्रश्न का जवाब देते हुए ज्योतिष कौशल मिश्रा कहते हैं कि सावित्री और सत्यवान की कहानी में ही इस प्रश्न का उत्तर है. आगे पढ़ें वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के दिन महिलाएं क्यों करती हैं बरगद के पेड़ की पूजा? वट सावित्री व्रत कब है ((Vat Savitri Vrat Kab Hi) और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vart Katha) के अनुसार सावित्री राजर्षि अश्वपति की पुत्री थी. सावित्री ने सत्यवान को अपना पति चुना था. सत्यवान वन राजा द्युमत्सेन का पुत्र था. नारदजी ने उन्हें इस बात की जानकारी दी कि सत्यवान का जीवन छोटा है. इसके बावजूद सावित्री ने अपना फैसला नहीं बदला. सावित्री ने सत्यवान से विवाह किया और अपने परिवार की सेवा करने के लिए जंगल में रहने लगी.
एक दिन जब सत्यवान लकड़ियां काटने जंगल में गया था, वह वहीं गिर पड़ा. यह देख यमराज सत्यवान की जान लेने पहुंचे. सावित्री सब कुछ जानती थी क्योंकि वह तीन दिन का उपवास कर रही थी. उसने यमराज से सत्यवान की जान न लेने का अनुरोध किया लेकिन वह नहीं माना. सावित्री उनका पीछा करने लगी. यमराज के कई बार मना करने के बाद भी सावित्री पीछे हटने को तैयार नहीं हुई. सावित्री के बलिदान से प्रसन्न होकर यमराज ने कहा कि वह उनसे 3 वरदान मांग सकती हैं. सावित्री ने पहले वरदान में सत्यवान के अंधे माता-पिता के लिए आंखों की रौशनी मांगी.
दूसरे वरदान में, उसने सत्यवान के अंधे माता-पिता का छीन जा चुका राज्य मांगा. अंतिम वरदान में, सावित्री ने यमराज से उसे 100 पुत्रों का आशीर्वाद देने के लिए कहा. यमराज ने उसे ये तीन इच्छाएं दीं और फिर तुरंत महसूस किया कि अब सत्यवान (Satywan) को अपने साथ ले जाना संभव नहीं है. यमराज ने सावित्री को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया. उस समय सावित्री (Savitri) एक बरगद के पेड़ के नीचे सत्यवान के साथ बैठी थी. इसलिए इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर एक धागा लपेटती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं. बरगद के पेड़ की पूजा किए बिना यह व्रत पूरा नहीं माना जाता है.
Also Read: Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत पर इस विधि से करें वट वृक्ष की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व
30 मई सोमवार को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) रखा जाएगा. अमावस्या तिथि 29 मई (दोपहर 02:55) से शुरू होगी. यह 30 मई को शाम 05:00 बजे समाप्त होगा.