Veer Bal Diwas 2024: सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. उनके परिवार की शहादत को सभी श्रद्धा के साथ स्मरण करते हैं. उनके दो छोटे साहिबजादों ने निरंकुश शासक के सामने झुकने से मना कर दिया और साहस के साथ अत्याचारी का सामना किया. आज 26 दिसंबर को उन नन्हें साहिबजादों को श्रद्धा पूर्वक याद करने का दिन है.
वीर बाल दिवस का इतिहास
इसके पीछे एक कहानी है. मुगल साम्राज्य के दौरान पंजाब में सिखों के प्रमुख गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्र थे, जिन्हें चार साहिबजादे खालसा के नाम से जाना जाता था. 1699 में, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय की रक्षा करना था. गुरु गोबिंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे हुए: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, जो सभी खालसा के सदस्य थे. दुर्भाग्यवश, मुगल सेना ने 19 वर्ष की आयु से पहले ही इन चारों की हत्या कर दी. उनकी शहादत को सम्मानित करने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
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वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जो सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण तिथि है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों, जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई बाबा फतेह सिंह की बहादुरी को सम्मानित करना है. यह निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया गया है. इसका लक्ष्य देश के युवाओं और बच्चों को उनके अद्वितीय योगदान और कार्यों के लिए सम्मानित करना है.
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