Vijaya Ekadashi 2023 Live Updates: विजया एकादशी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और पारण का समय
Vijaya Ekadashi 2023: फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार विजया एकादशी व्रत आज 16 फरवरी को रखा जा रहा है. जान लें इस व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त, पारण का समय.
मुख्य बातें
Vijaya Ekadashi 2023: फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार विजया एकादशी व्रत आज 16 फरवरी को रखा जा रहा है. जान लें इस व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त, पारण का समय.
लाइव अपडेट
Vijaya Ekadashi 2023: विजया एकादशी व्रत के नियम
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.
व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.
व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.
एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.
दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.
भगवान राम ने भी रखा था ये व्रत
मान्यता है कि जब श्री राम रावण से युद्ध करने के लिए तैयार हुए तो युद्ध से पहले उन्होंने विजया एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखा. इसके बाद उन्होंने लंकापति रावण का से युद्ध कर विजय प्राप्त की. ऐसे में आप विजया एकादशी पर कुछ मंत्रों का जप करके अपने मन की इच्छा भी पूरा कर सकते हैं.
Vijaya Ekadashi 2023: धन लाभ के लिए करें इस मंत्र का जाप
आर्थिक स्थिति सही करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप करें. इससे जातक को धन लाभ भी मिलेगा.
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित: पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:। सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
विजया एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
यदि आप एक अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप विष्णु भगवान की पूजा करते वक्त ‘ओम नारायणाय लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का उच्चारण करें. 108 बार इस मंत्र का जाप करके आप नौकरी प्राप्त कर सकते हैं,.
श्री हरि विष्णु बीज मंत्र
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के इस मंत्र का जाप 108 बार करें जाप, इससे गुरु दोष से छुटकारा मिलेगी.
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
विजया एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.
व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.
व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.
एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.
दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी तिथि प्रारंभ - फरवरी 16, 2023 को 05:32 AM
एकादशी तिथि समाप्त - फरवरी 17, 2023 को 02:49 AM
विजया एकादशी गुरुवार, फरवरी 16, 2023 को
17 फरवरी को पारण का समय - 08:01 AM से 09:13 AM
सूर्य भगवान को लाल, चंदन और चावल डालकर जल अर्पित करें
यदि आप मान सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं तो एकादशी के दिन सूर्य भगवान को लाल, चंदन और चावल डालकर जल अर्पित करें और साथ में ओम सूर्य नारायणाय नमः का जाप करें. ऐसा करने से मान सम्मान की प्राप्ति हो सकती है.
विजया एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
यदि आप एक अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप विष्णु भगवान की पूजा करते वक्त ‘ओम नारायणाय लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का उच्चारण करें. 108 बार इस मंत्र का जाप करके आप नौकरी प्राप्त कर सकते हैं,.
हर काम में विजय मिलती है
विजया एकादशी का व्रत आज 16 फरवरी 2023 को रखा जाएगा. ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए एकादशी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को हर काम में विजय मिलती है. कहते हैं पुराने समय में राजा-महाराजा बड़े-बड़े युद्ध को जीतने के लिए इस व्रत का पालन करते थे.
राम ने रावण युद्ध में विजय पाने के लिए रखा था ये व्रत
मान्यता है कि जब श्री राम रावण से युद्ध करने के लिए तैयार हुए तो युद्ध से पहले उन्होंने विजया एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखा. इसके बाद उन्होंने लंकापति रावण का से युद्ध कर विजय प्राप्त की. ऐसे में आप विजया एकादशी पर कुछ मंत्रों का जप करके अपने मन की इच्छा भी पूरा कर सकते हैं.
विजया एकादशी पर शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 12 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 09 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 35 मिनट तक
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी पर व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही शास्त्रों के अनुसार राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए विजया एकादशी का व्रत रखा था और इसी कारण रावण से युद्ध करने में राम को विजय प्राप्त हुई थी. वहीं इस दिन भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है.
विजया एकादशी श्रेष्ठ व्रतों में से एक
फाल्गुन मास (Phalguna Month) की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में सभी एकादशी व्रत को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का समर्पित बताया गया है और इसे श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि स्वयं प्रभु श्रीराम से रावण से युद्ध करने से पहले विजया एकादशी का व्रत रखा था, इसके बाद लंकापति रावण का वध किया था. इस बार विजया एकादशी आज 16 फरवरी को पड़ रही है. इस शुभ अवसर पर यहां से आप बधाई और शुभकामनाएं भेज सकते
Happy Vijaya Ekadashi 2023: ताल बजे, मुदंग बजे
ताल बजे, मुदंग बजे,
और बजे हरी की वीणा,
जय राम, जय राम,
जय श्री कृष्ण हरी.
विजया एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं
व्रत की पूजा विधि
विजया एकादशी पर शेषनाग की शैया पर विराजमान व लक्ष्मीजी जिनके चरण दबा रही हों उन भगवान श्री नारायण की पूजा का विधान है. पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाएं और उस पर सप्तधान रखें और यहां जल से भरा एक कलश स्थापित करें. कलश में आम या अशोक के ताजे पत्तों को रखें और इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. पंचामृत से स्नान करवाकर भगवान को पीले चंदन का तिलक लगाकर पीले फूल, मौसमी फल, तुलसी दल और नवैद्य आदि अर्पित कर धूप-दीप जलाएं और विजया एकादशी के व्रत कथा सुनें. आखिर में दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें. यथाशक्ति पूरे दिन व्रत रखें और विष्णुजी के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें. इस दिन विष्णुजी के मंदिर में दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है.
विजया एकादशी पूजन शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी तिथि प्रारंभ - फरवरी 16, 2023 को 05:32 AM
एकादशी तिथि समाप्त - फरवरी 17, 2023 को 02:49 AM
विजया एकादशी गुरुवार, फरवरी 16, 2023 को
17 फरवरी को पारण का समय - 08:01 AM से 09:13 AM
श्री हरि विष्णु बीज मंत्र
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के इस मंत्र का जाप 108 बार करें जाप, इससे गुरु दोष से छुटकारा मिलेगी.
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
घर में खुशहाली के लिए करें मंत्र का उच्चारण
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
विष्णु रूप पूजन मंत्र
भगवान विष्णु की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ें। इससे हर समस्या से छुटकारा तुरंत मिलेगा.
शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।
धन लाभ के लिए करें इस मंत्र का उच्चारण
आर्थिक स्थिति सही करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप करें. इससे जातक को धन लाभ भी मिलेगा.
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित: पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:। सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
विजया एकादशी व्रत के नियम
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.
व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.
व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.
एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.
दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.
16 फरवरी को विजया एकादशी व्रत
विजया एकादशी 16 फरवरी, दिन गुरुवार को रखा जा रहा है. वैसे तो पूरे एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है. सभी एकादशी के अलग-अलग नाम है लेकिन ये सभी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित हैं. ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का अंत होता है. जानें विजया एकादशी 2023 व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय क्या है?
विजया एकादशी पारणा का शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी पारणा मुहूर्त : 08:03:55 से 09:13:09 तक 17, फरवरी को
अवधि :1 घंटे 9 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय :08:03:55 पर 17, फरवरी को
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी तिथि प्रारंभ - फरवरी 16, 2023 को 05:32 AM
एकादशी तिथि समाप्त - फरवरी 17, 2023 को 02:49 AM
विजया एकादशी गुरुवार, फरवरी 16, 2023 को
17 फरवरी को पारण का समय - 08:01 AM से 09:13 AM
विजया एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.
व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.
व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.
एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.
दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
इस व्रत को रखने का उत्तम दिन 16 फरवरी है. हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 फरवरी को सुबह सूर्योदय से 5:32 बजे से प्रारंभ होगी. इसका समापन अगले दिन 17 फरवरी को रात 2:49 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार 16 फरवरी को विजया एकादशी का व्रत करना सर्वश्रेष्ठ और फलदायक रहेगा.
दान देने पहले जान लें जरूरी बातें
दान कभी भी किसी दबाव में नहीं देना चाहिए, दान कभी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए जो कुपात्र हो
जो भी वस्तुएं दान में दी जाए वो उत्तम कोटि की हो, कुंडली में जो ग्रह महत्वपूर्ण है उनका दान कभी न करें
दान में मांस, मदिरा आदि वस्तुएं न दें तो उत्तम है, क्योंकि ये वस्तुएं लाभ की जगह हानि पहुंचा सकती हैं
दान देते समय मन में हमेशा ये भाव रखें कि ये वस्तु ईश्वर की दी हुई है और ये सेवा या दान मैं ईश्वर को ही कर रहा हूँ
विजया एकादशी के दिन क्या करें और न करें
तामसिक आहार, व्यवहार और विचार से दूर रहें
भगवान विष्णु का ध्यान करके ही दिन की शुरुआत करें
इस दिन मन को ज्यादा से ज्यादा भगवान विष्णु में लगाए रखें
सेहत ठीक ना हो तो उपवास न रखें, केवल व्रत के नियमों का पालन करें
एकादशी के दिन चावल और भारी भोजन न खाएं
विजया एकदशी के दिन रात की पूजा- उपासना का विशेष महत्व होता है
क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें
16 फरवरी को विजया एकादशी
विजया एकादशी 16 फरवरी, दिन गुरुवार को रखा जा रहा है. वैसे तो पूरे एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है. सभी एकादशी के अलग-अलग नाम है लेकिन ये सभी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित हैं. ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का अंत होता है. जानें विजया एकादशी 2023 व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय क्या है?
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है. यदि आप शत्रुओं से परेशान हैं तो आपको विधिवत विजया एकादशी का व्रत रखना चाहिए. इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस व्रत का महत्व युधिष्ठिर को बताया था, इसके बाद ही पाण्डवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी.
Vijaya Ekadashi 2023: विजया एकादशी पारण का समय
विजया एकादशी पारणा मुहूर्त : 08:03:55 से 09:13:09 तक 17, फरवरी को
अवधि :1 घंटे 9 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय :08:03:55 पर 17, फरवरी को
विजया एकादशी पूजा के बाद इन बातों का रखें ध्यान
पूजा के बाद कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाता है और भक्त पूरी श्रद्धा से पालन भी करते हैं. विजया एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है. इस दिन चावल और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से खासा परहेज किया जाता है. रात में पूजा करना अच्छा होता है. साथ ही इस दिन लड़ाई-झगड़े, अपशब्द कहने और किसी के साथ बुरा बर्ताव या रवैया अपनाने से परहेज करना चाहिए. अच्छा आचरण ही भगवान विष्णु को भाता है.
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है. यदि आप शत्रुओं से परेशान हैं तो आपको विधिवत विजया एकादशी का व्रत रखना चाहिए. इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस व्रत का महत्व युधिष्ठिर को बताया था, इसके बाद ही पाण्डवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी.
Vijaya Ekadashi 2023: विजया एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.
व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.
व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.
एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.
दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.
Vijaya Ekadashi 2023 Shubh Muhurat: विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी तिथि प्रारंभ - फरवरी 16, 2023 को 05:32 AM
एकादशी तिथि समाप्त - फरवरी 17, 2023 को 02:49 AM
विजया एकादशी गुरुवार, फरवरी 16, 2023 को
17 फरवरी को पारण का समय - 08:01 AM से 09:13 AM
Vijaya Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी व्रत के नियम
एकादशी का व्रत काफी कठिन माना गया है क्योंकि इसके नियम दशमी की शाम को सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं और द्वादशी की सुबह व्रत पारण तक मान्य होते हैं.
विजया एकादशी व्रत कर रहे हैं तो 26 फरवरी की शाम को सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करें.
द्वादशी के दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
Vijaya Ekadashi Vrat Katha: विजया एकादशी पूजा के दौरान कथा जरूर पढ़ें
विजया एकादशी कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तब भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.
Vijaya Ekadashi के दिन इन बातों का रखें ध्यान
अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें. एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें. रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.