Vinayak Chaturthi 2024 Date: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है. हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों ही चतुर्थी तिथि भगवान गणेशजी की पूजा के लिए खास होती हैं. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. विनायक चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा से सभी विघ्न दूर होते हैं. यह दिन बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता गणेश जी को समर्पित है. विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है. आइए जानते हैं जून के महीने में विनायक चतुर्थी किस दिन है, इस दिन की क्या पूजा विधि है और इस व्रत का क्या महत्व है.
जून 2024 में कब है विनायक चतुर्थी
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 जून 2024 की दोपहर 4 बजकर 12 मिनट पर होगी. वहीं चतुर्थी तिथि का समापन अगले दिन 10 जून 2024 की दोपहर को 4 बजकर 46 मिनट पर होगा.ऐसे में उदयातिथि के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत इस बार 10 जून 2024 दिन सोमवार के दिन रखा जायेगा. इस दिन चंद्रोदय कर समय 10 बजकर 54 मिनट पर होगा.
विनायक चतुर्थी 2024 पूजा विधि
- विनायक चतुर्थी के दिन सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठें,स्नान करके साफ कपड़े पहनें .
- अपने इष्ट देवी-देवता का स्मरण करके उनको प्रणाम करें
- अब पूरे घर की अच्छे से सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर पूजन स्थल को शुद्ध करें
- एक साफ चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें.
- गणपति जी को गंगाजल से स्नान कराकर सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं.
- इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं
- इसके बाद उन्हें पीले फूल या पीले फूलों से बनी माला अर्पित करें.
- गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं और भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें
- इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें और फिर आरती करें.
- इसके बाद पूजा में हुई गलतियों के लिए भगवान गणेश से क्षमा प्रार्थना करें .
- व्रत के दौरान तामसिक चीजों का सेवन ना करें और किसी के बारे में बुरा विचार मन में ना लाएं.
- अगले दिन व्रती भगवान गणेश को चढ़ाए गए प्रसाद से ही अपना व्रत खोलें.
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गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व
विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा और व्रत रखने का बहुत अधिक महत्व है. ऐसा माना जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है और भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों और संकटों से छुटकारा मिल जाता है. इस व्रत को करने से साधक को जीवन में सफलता प्राप्त होती है.