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Vishwakarma Puja 2020 Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: जानें भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर प्रचलित कथाएं, आज शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें कब से कब तक है पूजा करने के लिए शुभ समय…

Vishwakarma Puja 2020 Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है. इस बार देश के कुछ हिस्सों में आज 16 सितंबर दिन बुधवार को विश्वकर्मा पूजा की जा रही है, तो वहीं कई राज्यों में कल 17 सितंबर को पूजा की जाएगी. राशि के अनुसार विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति को मनाई जाती है. बता दें कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है. इसलिए इस दिन उद्योगों, फैक्ट्र‍ियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है. मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था. विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की थी, ऐसे में इंजीनियरिंग काम में लगे लोग उनकी पूजा करते हैं. यह पूजा सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है. आइए जानते है इस बार विश्वकर्मा पूजा पर कई विशेष संयोग बन रहे है. इस शुभ समय में पूजा करने पर आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी...

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भगवान विश्वकर्मा के पूजन-अर्चन किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता

मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन-अर्चन किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता. इसी कारण विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होने वाले औजारों, कल-कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है. भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं.

इस तरह पूजा करने से जीवन में आएगी सुख समृद्धि

विश्वकर्मा दिवस के दिन पूजा करने से घर और काम नें सुख समृद्धि आती है. इस दिन सबस् पहले कामकाज में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को साफ करना चाहिए. फिर स्नान करके भगवान विष्णु के साथ विश्वकर्माजी की प्रतिमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए. ऋतुफल, मिष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत का भोग लगाएं. दीप-धूप आदि जलाकर दोनों देवताओं की आरती उतारें.

भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर कई कथाएं हैं

भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा को धरती पर उत्पन्न किया. वहीं विश्वकर्मा पुुराण के अनुसार, आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की. भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता है.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

ऐसी मान्यता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, भगवान शिव का त्रिशूल, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर और भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका को बनाया था. भगवान विश्वकर्मा शिल्प में गजब की महारथ हासिल थी जिसके कारण इन्हें शिल्पकला का जनक माना जाता है.

प्राचीन काल के सुप्रसिद्ध नगर और राजधानियों को विश्वकर्मा ने ही बनाया था

प्राचीन काल में जितने भी सुप्रसिद्ध नगर और राजधानियां थीं, उनका सृजन भी विश्वकर्मा ने ही किया था, जैसे सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेतायुग की लंका, द्वापर की द्वारिका और कलियुग के हस्तिनापुर. महादेव का त्रिशूल, श्रीहरि का सुदर्शन चक्र, हनुमान जी की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल और कुबेर के पुष्पक विमान का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था.

हर वर्ष 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

भगवान विश्वकर्मा की जयंती को लेकर कुछ मान्यताएं हैं. कुछ ज्योतिषाचार्यो के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म आश्विन कृष्णपक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था. वहीं कुछ लोगों का मनाना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है. वैसे विश्वकर्मा पूजा सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है.

पांडवों के लिए माया सभा भी विश्वकर्मा ने ही बनाई थी

ऐसा भी कहा जाता है कि पांडवों के लिए माया सभा भी विश्वकर्मा ने ही बनाई थी. ऋग वेद में कहा गया है कि स्थापत्य वेद जो मशीन और आर्किटेक्टर की साइंस है, उसे भी विश्वकर्मा ने बनाया है. दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा पर भी इनकी पूजा की जाती है.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने वाले व्यक्ति को किसी तरह की कोई कमी नहीं रहती है. भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि होती है और उसकी सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है.

इस तरह से करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा

भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने के लिए स्नान आदि करके जमीन पर आठ पंखुड़ियों वाला एक कमल बना कर उस पर सतंजा रखना चाहिए. उसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ विश्वकर्मा जी की मूर्ति पर पुष्प आदि चढ़ाकर उनकी पूजा करना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.

हर वर्ष 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

भगवान विश्वकर्मा की जयंती को लेकर कुछ मान्यताएं हैं. कुछ ज्योतिषाचार्यो के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म आश्विन कृष्णपक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था. वहीं कुछ लोगों का मनाना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।वैसे विश्वकर्मा पूजा सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है. भारत में कोई भी तीज व्रत और त्योहारों का निर्धारण चंद्र कैलेंडर के मुताबिक किया जाता है. लेकिन विश्वकर्मा पूजा की तिथि सूर्य को देखकर की जाती है। जिसके चलते हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को आती है.

विश्वकर्मा पूजा करने का फल

मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से दरिद्रता का नाश होता है. इनकी पूजा करने वाले को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं होती. इनकी पूजा से दिन दूनी तरक्की होती है. व्यापार और कारोबार फलता-फूलता है. इनकी पूजा करने वालों की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है.

विश्वकर्मा के दामाद हैं भगवान सूर्य

कहा जाता है कि भगवान सूर्य विश्वकर्मा के दामाद हैं. विश्वकर्मा की पत्नी का नाम आकृति है. इसके अलावा उनकी तीन और पत्नी भी हैं. जिनसे उन्हें 6 पुत्र हुए है. इनके उनकी दो पुत्रियां भी हैं. जिसमें से संज्ञा नाम की पुत्री का विवाह सूर्य देव से हुआ था. इसलिए भगवान सूर्य विश्वकर्मा के दामाद हैं.

कई प्रसिद्ध चीजों के निर्माता है भगवान विश्वकर्मा

भगवान विश्वकर्मा को कई प्रसिद्ध नगरों के निर्माता के रुप में देखा जाता है. कहा जाता है कि स्वर्ग लोक से लेकर रावण के अनोखे पुष्पक विमान का निर्माण भी भगवाव विश्वकर्मा ने ही किया था. यह भी कहा जाता है कि विश्वकर्मा जी ने कई ऐसे दुर्लभ चीजों का निर्माण किया है जिसका सानी आज तक नहीं बन पाया है. उसी में से हैं, इंद्र का स्वर्ग लोक, रावण की सोने की लंका, श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी. इसके अलावा भगवाव शिव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, यमराज का कालदंड जैसे अति भयंकर अस्त्रों का निर्माण भी विश्वकर्मा जी ने ही किया था.

दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर है भगवान विश्वकर्मा

शास्त्रों की माने तो विश्वकर्मा वास्तुदेव के पुत्र हैं. जिन्होंने सृष्टि में कई चीजें बनाई हैं. माना जाता है कि पांडवों के इंद्रप्रस्त में मौजूद माया सभा भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाई थी. रावण के सोने की लंका को भी बनाने वाले विश्वकर्मा ही थे. इस तरह उन्होंने कई दर्लभ चीजों का निर्माण किया किया. जिससे उन्हें दुनिया का पहला इंजीनियर कहा जाता है.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने वाले व्यक्ति को किसी तरह की कोई कमी नहीं रहती है. भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि होती है और उसकी सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है.

विश्वकर्मा पूजा मंत्र

ओम आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।

आज विश्वकर्मा पूजा है. पूजा के समय रुद्राक्ष की माला से विश्वकर्मा पूजा मंत्र का जाप करें, जाप के समय इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र का उच्चारण सही हो. गलत उच्चारण करने से आपको इस पूजा का फल नहीं मिलेगा.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाया था. इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, शिव जी का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, सोने की लंका को भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया था. अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं.

पूजा करने के लिए जानें शुभ समय

इस साल विश्वकर्मा पूजा पर कई संयोग बन रहे हैं. जिसमें पूजा करने से आपको कई लाभ प्राप्त होगा. इस दिन एक योग सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा और उसके बाद साध्य योग का प्रारंभ हो जाएगा. इसके अलावा आज के दिन कोई भी अभिजित मुहूर्त नहीं है. लेकिन अमृत काल मुहूर्त बन रहा है जो सुबह 10 बजकर 9 मिनट से सुबह 11 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. वहीं दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से दोपहर 3 बजकर 08 मिनट तक विजय योग रहेगा. इसके अलावा शाम 06 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 36 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा. इन सभी योग में विश्वकर्मा जी की पूजा करने से आपको उनकी खास आशीर्वाद प्राप्त होगा.

जानें क्यों मानाया जाता है विश्वकर्मा दिवस

भगवान विश्वकर्मा की पूजा कई राज्यों में धूमधाम से की जाती है. विश्वकर्मा जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें पहला वास्तुकार माना जाता है, मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं. मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उनपर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं.

आज औजारों की होती है पूजा

विश्वकर्मा पूजा आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को की जाती है. मान्यताएं हैं कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही कारखानों और फैक्ट्रियों में औजारों की पूजा की जाती है.

आज बन रहे हैं ये विशेष संयोग

इस साल विश्वकर्मा दिवस पर कई संयोग बन रहे हैं जिसमें पूजा करने से आपको कई लाभ प्राप्त होते हैं. इस दिन एक योग सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा और उसके बाद साध्य योग का प्रारंभ हो जाएगा. सुबह 10 बजकर 9 मिनट से सुबह 11 बजकर 37 मिनट तक अमृत काल रहेगा. हालांकि, आज कोई भी अभिजित मुहूर्त नहीं रहेगा.

मांस-मदिरा का न करें सेवन

इस दिन मशीनों को पूरी तरह आराम देने के साथ ही, इस दिन तामसिक भोजन यानी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही, अपने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा करना चाहिए.

जानें किन राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली आदि राज्यों में भगवान की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी आराधना की जाती है.

रोजमर्रा इस्तेमाल वाली चीजों का करें सम्मान

भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है. ऐसे में इस दिन किसी भी प्रकार के औजारों का इस्तेमाल न करें. भले ही ये उपकरण घर के ही क्यों न हों लेकिन उनके इस्तेमाल से भी बचना चाहिए. साथ ही, मशीनों को इधर-उधर बिखराने से भी बचना चाहिए. इसके अलावा, अपने औजारों को किसी को भी उधार में न दें.

आज उपकरणों का न करें इस्तेमाल

मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन लोगों को अपने कारखाने और फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए. ऐसा करने के साथ ही वहां मौजूद मशीनें, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत आती है. ऐसे में आज के दिन लोगों को औजारों और किसी भी प्रकार की मशीनों का इस्तेमाल करना वर्जित है.

पूरे ब्रह्मांड के निर्माणकर्ता हैं विश्वकर्मा

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है. पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें 'वज्र' भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था. वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं.

कैसे हुआ भगवान विश्वकर्मा का जन्म

यह मान्यता है कि प्राचीन काल में सभी का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था. 'स्वर्ग लोक', सोने का शहर - 'लंका' और कृष्ण की नगरी - 'द्वारका', सभी का निर्माण विश्वकर्मा के ही हाथों हुआ था. कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है.

मांस-मदिरा का न करें इस दिन सेवन

इस दिन मशीनों को पूरी तरह आराम देने के साथ ही, इस दिन तामसिक भोजन यानी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही, अपने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा करना चाहिए.

भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र

ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:

घर में ऐसे करें पूजा

इस दिन दफ्तर के साथ ही घर में भी सभी मशीनों की पूजा करनी चाहिए, चाहे बिजली के उपकरण हो या फिर बाहर खड़ी गाड़ी, विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी की सफाई करें. अगर जरूरी हो तो ऑयलिंग और ग्रीसिंग करें। इस दिन इनकी देखभाल किसी मशीन की तरह न करके, इस प्रकार करें जिससे प्रतीत हो कि आप भगवान विश्वकर्मा की ही पूजा कर रहे हों.

विश्वकर्मा जी की पूजा से ही तकनीकी कार्य होता है पूरा

वैदिक देवता के रूप में सर्वमान्य देव शिल्पी विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान-विज्ञान के कारण मानव ही नहीं, देवगणों द्वारा भी पूजित हैं. मान्यता हैं देव विश्वकर्मा के पूजन के बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता है.

आज पूजा के दौरान नियमों का करें पालन

इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से आपके कोराबार में वृद्धि होगी साथ ही सुख और शांति रहेगी. विश्वकर्मा पूजा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कलाकार, शिल्पकार और व्यापारी है. अगर आप इस दिन पूजा कर रहे हैं तो आपको कई सारी बातों का खास ख्याल रखना है ताकि आपसे कोई गलती ना हो जाए.

क्यों की जाती है विश्वकर्मा भगवान की पूजा

विश्वकर्मा की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें पहला वास्तुकार माना गया था, मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं. मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उनपर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं. भारत के कई हिस्सों में हिस्से में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी की संतान भगवान विश्वकर्मा हैं. वे शिल्पकारों और रचनाकारों के ईष्ट देव हैं. उन्होंने सृष्टि की रचना में ब्रह्मा जी की मदद की तथा पूरे संसार का मानचित्र बनाया था. भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका, सोने की लंका, पुरी मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियों, इंद्र के अस्त्र वज्र आदि का निर्माण किया था. ऋगवेद में उनके महत्व का पूर्ण वर्णन मिलता है.

विश्वकर्मा पूजा से जुड़े नियम

-विश्वकर्मा पूजा करने वाले सभी लोगों को इस दिन अपने कारखाने, फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए.

- विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत होती है.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों और मशानों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन तामसिक भोजन (मांस-मदिरा) का सेवन नहीं करना चाहिए.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने रोजगार में वृद्धि करने के लिए गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा जरूर दें.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने बिजली उपकरण, गाड़ी की सफाई भी करें.

क्या है पूजा का महत्व

विश्वकर्मा भगवान की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें पहला वास्तुकार माना गया था, मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं. मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उनपर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं. भारत के कई हिस्सों में हिस्से में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है.

विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त

16 सितंबर यानी आज सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर कन्या संक्रांति का क्षण है. इस समय पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. कन्या संक्रांति के साथ ही विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त है. पूजा के समय राहुकाल का ध्यान रखना होता है. विश्वकर्मा पूजा के दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 01 बजकर 53 मिनट तक है. इस समय काल में पूजा न करें.

जानें कैसे करें विश्कर्मा भगवान की पूजा

विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद अच्छे कपड़े पहनें और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें. पूजा के समय अक्षत, हल्दी, फूल, पान का पत्ता, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप, दीप और रक्षासूत्र जरूर रखें. आप जिन चीजों की पूजा करना चाहते हैं उन पर हल्दी और चावल लगाएं. साथ में धूप और अगरबत्ती भी जलाएं. इसके बाद आटे की रंगोली बनाएं. उस रंगोली पर 7 तरह का अनाज रखें. फिर एक लोटे में जल भरकर रंगोली पर रखें. फिर भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी की आरती करें. आरती के बाद विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटें. इसके बाद कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं, इसके बाद पूजा करते वक्त मंत्रों का उच्चारण करें. जब पूजा खत्म हो जाए उसके बाद सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

शुभ समय में करें विश्वकर्मा भगवान की पूजा

इस साल विश्वकर्मा पूजा पर कई संयोग बन रहे हैं. जिसमें पूजा करने से आपको कई लाभ प्राप्त होगा. इस दिन एक योग सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा और उसके बाद साध्य योग का प्रारंभ हो जाएगा. इसके अलावा आज के दिन कोई भी अभिजित मुहूर्त नहीं है. लेकिन अमृत काल मुहूर्त बन रहा है जो सुबह 10 बजकर 9 मिनट से सुबह 11 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. वहीं दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से दोपहर 3 बजकर 08 मिनट तक विजय योग रहेगा. इसके अलावा शाम 06 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 36 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा. इन सभी योग में विश्वकर्मा जी की पूजा करने से आपको उनकी खास आशीर्वाद प्राप्त होगा.

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