Bhaiya Dooj, Bhiya Dooj, Godhan kutai: हिंदू धर्म में भाई दूज या भईया दूज का खास महत्व होता है. यह त्योहार भाई और बहनों के अनोखे रिश्ते को मजबूत करता है. भाई दूज ज्यादातर दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है और गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाया जाता है. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. जबकि झारखंड में भाई दूज के त्यौहार की एक अनोखी और अलग परंपरा है. इस परंपरा या रश्म में भाई दूज पर बहनें पहले अपने भाइयों को मरने का श्राप देती हैं और उसके बाद प्रायश्चित करने के लिए खुद के जीभ में कांटा चुभाती हैं और गलती की क्षमा मांगते हुए भाई को सुखी और स्वास्थ रखने की भगवान से कामना करती हैं.
दरअसल, अन्य राज्यों में भाई दूज के दिन बहनें सबसे पहले रोली और अक्षत से अपने भाई को तिलक करती हैं, फिर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं. इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ भेंट देते हैं. जबकि बिहार-झारखंड के तहत बहनें अपने भाइयों को मरने का श्राप देती हैं और उसके बाद प्रायश्चित करती है और अपनी जीभ पर रेंगनी का कांटा चुभाती हैं. इस दौरान बहनें यमलोक में रहने वाले प्राणियों की प्रतिमूर्ति बनाकर उसकी कुटाई भी करती हैं. मान्यता है कि भाई दूज के दिन भाइयों को गालियां और श्राप देने का उन्हें यमराज का भय नहीं होता है.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यम और यमनी विचरण कर रहे थे. उनका उद्देश्य था ऐसे व्यक्ति को यमलोक पहुंचाने का, जिसे उसकी बहन द्वारा गाली या श्राप नहीं दिया गया हो. इसी बीच दोनों को एक ऐसा व्यक्ति मिला, जिसको ना तो उसकी बहन ने कभी गाली दी ना ही कभी श्राप दिया था. वह बहन अपने भाई से बेहद प्रेम करती थी, लेकिन यम और यमनी उसके भाई की आत्मा को ले जाने की तैयारी करने करने लगते हैं. इसी बीच बहन को ये बातें पता चला तो उसने अपने भाई को बचाने की पूरी कोशिश की और बिना वजह अपने भाई को खूब गालियां दीं और श्राप दिया. ऐसा करने से यम और यमनी का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका, लेकिन बावजूद यम उसके भाई के प्राण लेने की पूरी कोशिश करता रहा. यम ने पहले उसके भाई पर दीवार गिराया, खाना खाते वक्त सांप और बिच्छू छोड़े, लेकिन हर बार बहन ने अपने भाई के प्राण बचा लिए और उसके भाई का बाल भी बांका नहीं हो सका. उस समय से ही यह परंपरा चली आ रही है. जिसे गोधन कुटाई या भईया दूज कहते हैं.
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बिहार झारखंड में भईया दूज पर गोधन कुटाई की अनोखी रश्में की जाती है. इसके लिए बहने सुबह-सुबह घर के आंगन में या घर के बाहर गोबर से यमलोक का चित्र बनाती हैं. उसमें यम और यमी के साथ सांप बिच्छू. दीवार आदी बनाया जाता है. भईया दूज की पूजा के बाद भाई की सलामती के लिए बहने यमलोक में मौजूद कुटना कहते हैं.
गोधन कुटते वक्त बहनें, ‘अवरा कुटीला भवरा कुटीला, कुटीला यम के दुआर, कुटीला भईया के दुश्मन, चारू पहर दिन रात’ जैसे गीत गाती हैं. मान्यता है कि ऐसी कुटाई करने से यम लोक के निवासी और यम-यमी भाग जाते है. यम लोक की कुटाई करने के बाद यम लोक में मुसल को रख कर भाई को पार कराया जाता है.