प्रख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ रवींद्र नारायण सिंह विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये गये हैं. मूल रूप से सहरसा के रहने वाले डॉ सिंह के पिता स्व राधाबल्लभ सिंह जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे. आरएन सिंह ने 1968 में पीएमसीएच से एमबीबीसी की डिग्री ली और नालंदा मेडिकल कॉलेज के प्राध्यापक बने.
कुछ दिनों बाद डॉ रवींद्र नारायण सिंह लंदन चले गये और वहां के लीवरपुल स्कूल से एमसीएच की डिग्री ली. वहीं कई वर्षों तक काम भी किया. 1981 में वे पटना लौटे और यहां अपना क्लिनिक खोल लिया. हड्डी के इलाज के उन्होंने कई खोज की. 2010 में उन्हें इन्हीं कार्यों के लिए पदमश्री से सम्मानित किया गया. जब वे लंदन में थे, तभी विश्व हिंदू परिषद के संपर्क में आये. वे अध्यक्ष बनने से पहले कई सालों तक विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे.
पतरघट प्रखंड क्षेत्र के गोलमा निवासी पद्मश्री डॉ रविंद्र नारायण सिंह को विश्व हिंदू परिषद का नया केंद्रीय अध्यक्ष बनाये जाने पर पूरे गांव सहित जिले में हर्ष का माहौल है. लोग एक-दूसरे को बधाई और शुभकामना देते खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उनके पैतृक आवास पर भी सगे संबंधियों सहित ग्रामीणों ने एक दूसरे को गुलाल लगा खुशियां मनायी.
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जिला अंतर्गत पतरघट प्रखंड स्थित गोलमा पश्चिम पंचायत में जन्म लिए डॉ आरएन सिंह बचपन से ही मेघावी रहे. शूरूआती दौर से ही अपनी काबिलियत के दम पर हमेशा इस इलाके को गौरवान्वित किया है. चिकित्सा सेवा के दम पर उन्हें उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उसी दौरान उन्हें विश्व हिंदू परिषद् का केंद्रीय उपाध्यक्ष भी मनोनीत किया गया. फिर उन्हें विहिप का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा होते ही पूरा इलाका खुशी से झूम उठा. कोसी ही नहीं देश स्तर पर हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में इनकी पहचान है.
पतरघट प्रखंड के गोलमा निवासी सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्व राधावल्लभ सिंह एवं इंदू देवी के कनिष्ठ पुत्र डॉ रविन्द्र नारायण सिंह ने अपनी पढ़ाई लिखाई बेतिया, कटिहार एवं पटना सहित देश के विभिन्न कॉलेजों में स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद पटना पीएमसीएच पटना से 1970 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. जिसके बाद उन्हें नालंदा मेडिकल कॉलेज का प्रधानाचार्य बनाया गया. फिर वो विशेष डिग्री हासिल करने के बाद इंग्लैंड चले गये.
इंग्लैंड में उन्होंने 1976 में इंग्लैंड स्थित क्विन मेडिकल कॉलेज से हड्डी रोग विभाग से एमएस किए जाने के बाद वहीं पर मेडिकल कॉलेज में काम करने लगे. 1978 में रॉयल कॉलेज एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की. जहां उन्होंने इंग्लैंड के लिवरपूल यूनिवर्सिटी से आर्थोपेडिक में एमबीबीएस किया. लेकिन पिता की इच्छा के अनुसार वे 1983 में पटना लौट गये.
पटना लौटने के बाद उन्होंने अनुपम मेमोरियल आर्थोंपेडिक सेंटर के नाम से अपना क्लिनिक पटना में खोलकर अस्थि शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया. जहां हड्डी के इलाज के लिए उन्होंने कई अभिनव प्रयोग किया. चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर उन्हें वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया.
लंदन प्रवास के दौरान ही वे विश्व हिंदू परिषद् से जुड़े और लोगों को संगठन से जोड़ने लगे.डॉ आरएन सिंह के इकलौते पुत्र डॉ आशीष कुमार सिंह भी लंदन से एमसीएच कर उनके साथ काम कर रहे हैं. उनकी पुत्री डॉ प्रीतांजली व दामाद डॉ वीपी सिंह पटना में कैंसर विशेषज्ञ के रूप में सरकारी अस्पतालों के अलावे निजी अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं.
पटना में अतिव्यस्त होने के बावजूद भी उन्होंने अपने गांव से हमेशा अपना रिश्ता कायम रखा. गांव में उन्होंने करोड़ों की लागत से राधावल्लभ मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल खोला और महीने में दो दिन आकर लोगों का खुद से इलाज करते हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan