पिछले चार महीने से शिक्षा विभाग अपर मुख्य सचिव केके पाठक के सहरसा दौरा की आये दिन अफवाह उड़ रही थी. आखिरकार गुरुवार की देर शाम अपर मुख्य सचिव जिला मुख्यालय पहुंचे एवं पहुंचते ही ताबड़तोड़ निरीक्षण शुरू कर दिया. अपर मुख्य सचिव जिला परिसदन में नहीं रुक कर एक निजी आवासीय होटल में ठहरे एवं शुक्रवार को जिला मुख्यालय के दो उच्च माध्यमिक, एक मध्य विद्यालय एवं बैजनाथपुर में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण कर मधेपुरा के लिए निकल गये. अपर मुख्य सचिव के निरीक्षण के बाद जिले से जाते ही अधिकारियों सहित शिक्षकों ने राहत की सांस ली.
यहां तो नहीं पढ़ते, किस स्कूल में पढ़ते हो
मनोहर मध्य विद्यालय में निरीक्षण के दौरान वर्ग सात में एक बच्चे को बिना ड्रेस में देख पाठक ने इसका कारण पूछा. उन्होंने कहा कि बिना ड्रेस के स्कूल आते हो तो पापा नहीं डांटते. बच्चे की हिचकिचाहट देख केके पाठक ने उससे पूछा लगता है तुम यहां नही पढ़ते, किस स्कूल में पढ़ते हो. बच्चा अयान शेख ने बताया कि वह विद्या विकास एकेडमी में पढ़ता है. जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यह यहां डीबीटी के लिए आता है. इसके पिता से बात कीजिए और इस लड़के का नाम स्कूल से हटाइए.
केके पाठक ने छात्रों को दी वार्निंग
निरीक्षण के दौरान मौजूद स्कूल की प्राचार्य ने केके पाठक को बताया कि बार बार कहने पर भी बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म पहन कर नहीं आ रहे हैं. इस बात पर अपर मुख्य सचिव को काफी आश्चर्य हुआ. इसके बाद केके पाठक ने बच्चों को समझाते हुए कहा कि यह स्कूल है आप लोग यहां यूनिफॉर्म में आइए. यह आखिरी वार्निंग ड्रेस में नहीं आने पर क्लास में बैठने नहीं दिया जाएगा और न ही परीक्षा में बैठने दिया जाएगा.
केके पाठक ने बच्चों को लगाई फटकार
केके पाठक ने इस दौरान बच्चों को फटकार लगाते हुए कहा कि यहां तो कोई कुछ भी पहन कर आ रहा, किसी का बटन खुला है तो किसी ने बनियान पहन रखी है. यह क्या है? क्या आप लोग मॉल या सिनेमा हॉल में आए हुए है, ना ही आप लोग बाजार में घूम रहे हैं. 12 वीं कक्षा तक आप लोगों को यूनिफॉर्म में ही आना होगा. जब कॉलेज में जाना तो जो मन करे पहनना. इस दौरान बच्चों के सामने ही उन्होंने प्रिंसिपल से कहा कि जो ड्रेस में न आए और बात न माने तो उसका स्कूल से नाम काट दिया जाए. केके पाठक ने जिले के मनोहर हाई स्कूल पूरब बाजार के साथ-साथ जिला गर्ल्स स्कूल, मनोहर हाई स्कूल बैजनाथपुर और मध्य विद्यालय बैजनाथपुर का भी निरीक्षण किया.
जिला गर्ल्स स्कूल में व्यवस्था पर हुए नाराज
अपर मुख्य सचिव ने मनोहर उच्च विद्यालय निरीक्षक के बाद सीधे राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचे एवं पहुंचते ही वर्ग कक्ष में प्रवेश किया. उन्होंने बच्चों से पढ़ाई के संबंध में विस्तृत जानकारी ली. साथ ही मासिक टेस्ट एवं उसके परिणाम की भी जानकारी ली. वे 11वीं के कक्षा में छात्राओं को ड्रेस में नहीं देख काफी नाराज हुए. उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार द्वारा इसके लिए राशि दी जाती है तो बिना ड्रेस के बच्चे विद्यालय क्यों आ रहे हैं.
अधिकारी लगातार कर रहे थे निगरानी
वहीं के के पाठक के निरीक्षण को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी जिला मुख्यालय के सभी विद्यालयों पर लगातार निगरानी बनाए हुए थे. वर्ग कक्षा संचालन से लेकर प्रयोगशाला तक की निगरानी पूर्व से ही शिक्षा विभाग के अधिकारी कर रहे थे. राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में कमी को लेकर विभागीय टीम द्वारा मुख्य सचिव के आगमन से पहले जायजा लिया गया एवं सुधार को लेकर एस्टीमेट बनाने का भी विचार विमर्श प्रधानाचार्य से किया गया.
केके पाठक के पहुंचने की आशंका पर मधेपुरा में मचा था हड़कंप
इधर, केके पाठक के सहरसा पहुंचने की सूचना पर मधेपुरा के प्रशासनिक व शैक्षणिक विभागों में हड़कंप मचा गया. आरडीडीइ, डीईओ, डीपीओ से ले कार बीईओ तक परेशान रहे. सबसे ज्यादा हड़कंप स्कूल के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों में मचा रहा. वे अपनी ओर से स्कूल में सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किये हुए थे. शुक्रवार को जिले के सभी स्कूलों में प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं व बच्चे भी समय से पूर्व पहुंच चुके थे. हालांकि सभी प्रधानाध्यापक व शिक्षक यही सोच रहे थे कि अपर मुख्य सचिव का आगमन उनके विद्यालय में न हो.
बच्चों से अधिक थी शिक्षकों की शोर
वैसे तो विभाग के अधिकारियों ने जिले के सभी स्कूलों को व्यवस्थित रखने का आदेश-निर्देश दे रखा था, क्योंकि उन्हें भी पता नहीं था कि मुख्य सचिव की गाड़ी किधर घूम जायेगी, वे किस स्कूल का निरीक्षण करने पहुंच जायेंगे, लेकिन मुख्य सड़कों के किनारे स्थित स्कूल अधिक सतर्क थे. शुक्रवार को लगभग सभी स्कूलों के शिक्षक सहरसा के संपर्की शिक्षक या यू-ट्यूबर से जानकारी लेते रहे. कुछ शिक्षक अपने विद्यालय के छतों से केके पाठक के काफिला का इंतजार करते रहे. हालांकि शुक्रवार को लगभग सभी कक्षाएं बच्चों से भरी थी और शिक्षक बैठकर नहीं, बल्कि ब्लैक बोर्ड पर लिखकर या कमरे में टहल कर पढ़ा रहे थे. आज बच्चों की कम और शिक्षक-शिक्षिकाओं के पढ़ाने की अधिक शोर सुनाई दे रही थी.