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झारखंड का एक ऐसा सरकारी स्कूल जहां आज भी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं बच्चे, जानें कारण

राजमहल के मटियाल में संचालित चरवाहा विद्यालय का हाल बेहाल है. कमरों के अभाव में स्कूल के बरामदे में फर्श पर बैठकर बच्चे पढ़ाई करने को विवश हैं. इस विद्यालय में 885 बच्चे नामांकित हैं. इसके बावजूद एक अदद शौचालय तक नहीं है. इस समस्या के समाधान को लेकर किसी के पास सुध लेने की फुर्सत नहीं है.

राजमहल (साहिबगंज), मनोज यादव : संयुक्त बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के माध्यम से संचालित चरवाहा विद्यालय वर्तमान में शहरी क्षेत्र के मटियाल में संचालित है. मध्य विद्यालय चरवाहा मटियाल में 885 बच्चे नामांकित हैं. लेकिन, स्कूल में कुव्यवस्था का आलम है. केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के माध्यम से शौचालय का उपयोग करने की जागरुकता के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन स्कूल में शौचालय नहीं है. मजबूरन बच्चे एवं बच्चियां पास के बगीचे में जाते हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से बच्चियों को विशेष परेशानी का सामना करना पड़ता है.

कमरे के अभाव में जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने को विवश बच्चे

इस विद्यालय में मात्र तीन कमरे हैं, जिसमें एक कमरा को स्टोर रूम बना दिया गया है. ऐसी परिस्थिति में बच्चे बरामदे के फर्श पर ही बैठकर पढ़ाई करते हैं. कक्षा वन से अष्टम तक में नामांकित 885 में 10 शिक्षकों की आवश्यकता है. पर प्रधानाध्यापक समेत चार शिक्षक ही विद्यालय में पदस्थापित हैं.

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नहीं है किचन रूम, लकड़ी से बनता है मध्याह्न भोजन

किचन रूम नहीं है. विद्यालय की दीवार से सड़क की ओर एक झोपड़ीनुमा रूम बनाकर किचन का संचालन किया जा रहा है, जिसमें बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनता है. प्रधानाध्यापक का कहना है कि स्थायी किचन नहीं होने के कारण लकड़ी से ही मध्याह्न भोजन बनाया जाता है. गैस विद्यालय को मिला था. लेकिन, स्थायी किचन नहीं होने के कारण अनहोनी की आशंका बनी रहती है. इसीलिए गैस चूल्हा से खाना नहीं बनता है. इधर, लकड़ी से मध्याह्न भोजन बनाने के कारण बरामदे के फर्श पर पढ़ाई कर रहे बच्चों को चूल्हे का धुआं लगने के कारण काफी परेशानी होती है.

सीढ़ी में नहीं है सेफ्टी वॉल

विद्यालय की छत पर जाने के लिए बनाये गये सीढ़ी में सेफ्टी वॉल नहीं रहने के कारण आये दिन बच्चे गिर कर जख्मी होते हैं. समय से अगर पहल नहीं हुई तो बड़ी अनहोनी हो सकती है.

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विद्यालय में कमरा और शिक्षकों की कमी

इस संबंध में प्रधानाध्यापक प्रमोद जाने का कहना है कि विद्यालय में नामांकित बच्चों के अनुरूप कमरा और शिक्षकों की कमी है. परिसर में जगह का अभाव होने के कारण शौचालय की व्यवस्था नहीं है.

शौचालय व कमरे की समस्या को लेकर शिक्षा विभाग को लिखा गया : विद्यालय प्रबंधन समति

वहीं, विद्यालय प्रबंधन समिति के मो आलम का कहना है कि शौचालय एवं विद्यालय में कमरे की समस्या को लेकर शिक्षा विभाग को पत्राचार किया गया है. लेकिन, कोई पहल नहीं हुई है. विद्यालय निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने भी मौखिक रूप से नए स्थल चयन का निर्देश विभागीय पदाधिकारी को दिए थे.

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बोरियो में बच्चों को अपने वाहन में बिठाकर नामांकन के लिए स्कूल पहुंचे बीडीओ

इधर, साहिबगंज के बोरियो में समग्र शिक्षा अभियान के तहत विद्यालय के पोषक क्षेत्र के अनामांकित बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन, ठहराव एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके, इसके लिए विभागीय अधिकारी प्रयास कार्यक्रम का प्रतिदिन अनुश्रवण कर रहे हैं. इसी कड़ी में अभिभावकों के आग्रह पर शुक्रवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी टुडू दिलीप ने बोरियो संथाली के पांच अनामांकित आदिवासी बच्चों को अपने वाहन में बिठाकर नामांकन हेतु बालक मध्य विद्यालय बोरियो पहुंचे. यहां बच्चों का नि:शुल्क नामांकन कराया. नामांकन के दौरान प्रत्येक छात्र को विद्यालय की ओर से एक-एक स्कूल बैग, दो कॉपी और कलम दिया गया. मौके पर बीडीओ श्री टुडू ने सभी अभिभावकों से अपने बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय भेजने की अपील की. इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनोज दास, सीआरपी सुल्तान आलम, शिक्षक गणेश प्रसाद सिंह, संतोष कुमार उपस्थित थे.

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