साहिबगंज : जिले का एक और लाल कुलदीप उरांव देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ. शहर के आजाद नगर जेल गेट के सामने वार्ड नम्बर 28 के वार्ड पार्षद घनश्याम उरांव के छोटे पुत्र कुलदीप उरांव (उम्र 38 वर्ष) श्रीनगर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये. मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार देर रात जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के हजरतबल दरगाह के मालबाग इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ हुई. इसमें कुलदीप शहीद हो गये. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि कुलदीप की शहादत पर देश को गर्व है. उनकी शहादत को नमन.
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आतंकियों से लोहा लेते हुए झारखण्ड के लाल सीआरपीएफ जवान कुलदीप उरांव शहीद हो गए।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 3, 2020
परमात्मा शहीद कुलदीप जी की आत्मा को शांति प्रदान कर परिवार जनों को दुःख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे। pic.twitter.com/ypN3IdTToX
नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 28 के वार्ड पार्षद घनश्याम उरांव को अपने छोटे पुत्र कुलदीप उरांव की शहादत पर गर्व है. श्री उरांव ने कहा कि देश की रक्षा करते हुए मेरा लाल शहीद हुआ. अगर और भी पुत्र होता तो उसे भी देश की सेवा में भेजता. शहीद कुलदीप उरांव के पिता घनश्याम उरांव सीआरपीएफ से सेवानिवृत हुए हैं. सीआरपीएफ 190 बटालियन से पिता 2007 में रिटायर्ड हुए थे. 1968 में शहीद के पिता घनश्याम ने सीआरपीएफ 23 बटालियन ज्वाइन किया था. इसके बाद पिता 44 बटालियन, 29 बटालियन, 77 बटालियन, 95 बटालियन, 160 बटालियन, 21 बटालियन में कार्य किये और 190 बटालियन में सेवानिवृत हुए. रिटायर्ड होने के बाद और उक्त क्षेत्र में अच्छा व्यवहार के कारण 2017 में घनश्याम उरांव ने वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ा और विजयी हुए. पिता अभी वार्ड पार्षद हैं.
शहीद कुलदीप की पत्नी बंगाल पुलिस में कांस्टेबल हैं, जो 24 परगना सोदपुर में कार्यरत हैं. अपने दोनों बच्चों के साथ सोदपुर में ही रहती हैं. घनश्याम उरांव के दो पुत्र हैं, जिसमें बड़ा बेटा प्रदीप कुमार उरांव, छोटा बेटा कुलदीप उरांव थे. बड़ा बेटा प्रदीप कुमार उरांव भी तीन माह तक सीआरपीएफ में 168वीं बटालियन में 2004 में थे. मेडिकल अनफिट हो जाने के कारण प्रदीप 3 माह बाद हटा दिये गये. अभी शहीद कुलदीप के बड़े भाई प्रदीप उरांव बाल श्रमिक विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं. शहीद अपने पीछे पत्नी वन्दना उरांव, पुत्र यश उरांव (उम्र 09 वर्ष), पुत्री वैसी (05 वर्ष), पिता घनश्याम उरांव, भाई प्रदीप कुमार उरांव, भाभी, भतीजा को छोड़ गये. शहीद की माताजी का निधन तीन वर्ष पूर्व हो गया है.
शहीद के पिता घनश्याम उरांव ने बताया कि कुलदीप से आखरी बातचीत परसों रात में हुई थी. कुलदीप ने फोन किया और पूछा कैसे हैं पापा. मैंने कहा ठीक हैं बेटा. बाजार में होने के कारण कुलदीप ने घर पहुंचकर बात करने की बात कही. पिता-पुत्र दोनों सीआरपीएफ के जवान रहे हैं. इसलिए श्रीनगर के हालात से वाकिफ थे. 2021 में नौकरी के 20 वर्ष होने वाले थे. वे वोलेंटियर रिटायरमेंट लेना चाहते थे.
शहीद कुलदीप के पिता घनश्याम उरांव ने बताया कि रात लगभग 11 बजे असिस्टेंट कमांडेंट ने फोन करके कहा कि कुलदीप घायल है. अस्पताल ले जाया जा रहा है. फिर कुछ देर बाद लगभग 11:30 बजे कमांडेंट ने फोन करके बताया कि कुलदीप शहीद हो गया. कुलदीप ने अस्पताल में अंतिम सांस ली. कुलदीप जनवरी 2001 में मोकामा में सीआरपीएफ में बहाल हुए थे.
जानकारी के अनुसार खुफिया सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरकर तलाशी अभियान चलाया. जिससे छुपे हुए आतंकियों ने सेना के जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई. श्रीनगर में आतंकियों से सुरक्षाबलों की हुई मुठभेड़ में सीआरपीएफ के तीन जवान घायल हुए थे. घायल जवानों को 92 बेस सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गंभी रूप से घायल कुलदीप ने अस्पताल में अंतिम सांस ली. सुरक्षाबलों को तीन आंतकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी.
सूचना मिलने पर इलाके को घेरकर सघन जांच अभियान चलाया गया. इसी दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में सुरक्षाबलों ने भी कार्रवाई की. जिसमें एक आतंकी ढेर हो गया. अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षाबल आतंकवादियों की तलाश में जुटे थे, जहां इलाके की घेराबंदी की गयी थी. वहीं आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सीआरपीएफ के हेड कॉन्स्टेबल कुलदीप उरांव शहीद हो गये. शहीद कुलदीप सीआरपीएफ के 118वीं बटालियन के हेड कॉन्स्टेबल व क्विक टीम के सदस्य थे.
Posted By : Guru Swarup Mishra