Kargil Vijay Diwas: 22 साल पूर्व 26 जुलाई को शाहिद हुए थे जोनाथन मरांडी. साहिबगंज जिले के तालझारी प्रंखड मुख्यालय के सटे छोटे से गांव में पले जोनाथन 22 साल पहले कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्का छुड़ाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये थे. उन्होंने अपने बहादुरी का परिचय दिया और पाकिस्तानी सैनिकों के समक्ष अपना लोहा मनवाया.
1986 में बिहार आर्मी में दिया था योगदान
तालझारी के एक मध्यम परिवार में 4 मार्च, 1966 को जन्मे जोनाथन मरांडी की प्राथमिक शिक्षा गांव के सटे मिशन स्कूल में हुई. बीएसके कॉलेज, बरहरवा से उसने उच्च शिक्षा ग्रहण की थी. देश सेवा की इच्छा रखने वाले जोनाथन मरांडी ने 1986 में प्रथम बिहार रेजीमेंट दानापुर में बिहार आर्मी के रूप में योगदान दिया. जब कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों एवं आतंकियों ने हमला बोला, तो भारतीय सैनिक की तरफ से इसका मुंहतोड़ जवाब दिया गया.
जोनाथन ने देश के लिए अपने प्राणों की दी थी आहूति
गांव में पले-बड़े हुए जोनाथन को भी देश सेवा का मौका मिला. इससे वे काफी खुश थे. अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए जोनाथन मरांडी ने देश के दुश्मनों एवं पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था. अंततः 26 जुलाई को भारतीय सेना ने जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा से लगी कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमाया. हालांकि, इस युद्ध में जोनाथन मरांडी भी शहीद हुए थे. जिला प्रशासन की ओर से तालझारी थाना के समीप शहीद जोनाथन मरांडी का स्मारक बनाया गया है. जहां हर साल शहीद दिवस, कारगिल विजय दिवस, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस पर वीर जवानों को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है.
Also Read: MGM के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ अरुण कुमार सस्पेंड, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने दिया आदेश
देश सेवा की मौका मिले, तो युवा जरूर स्वीकार करे : रूथ टुडू
कारगिल युद्ध में शहीद हुए जोनाथन मरांडी की पत्नी रूथ टुडू ने बताया कि पति के शहीद होने के बाद अपने परिवार के भरण-पोषण खेती-बारी और पेंशन की राशि पर ही निर्भर है. अपनी एक बेटी के साथ जीवन यापन कर रही है. कहती है कि कारगिल दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर प्रखंड प्रशासन की ओर से याद कर सम्मानित होती है. उन्होंने युवाओं के लिए संदेश दिया कि देश की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है. अगर देश का सेवा करने का मौका मिले, तो उसे जरूर स्वीकार करनी चाहिए.
रिपोर्ट : नवीन कुमार, साहिबगंज.