Amla/Akshaya Navami 2020 : खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश) : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. इस बार सोमवार (23 नवंबर, 2020) को आंवला नवमी मनाया जायेगा. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. सरायकेला- खरसावां जिला में भी सोमवार को महिलाएं आंवला नवमी (अक्षय नवमी) का व्रत रखेंगी. महिलाएं पूरे विधि- विधान से आंवला नवमी का व्रत करेंगी.
परिवार की सुख- समृद्धि के लिए आंवला नवमी पर महिलाएं आंवला वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा-अर्चना करती है. आंवला वृक्ष के नीचे पकवानों का भोग लगाया जाता है और उन्हीं पकवानों से अपना व्रत खोलती हैं. आंवला नवमी के के दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. इस अवसर पर महिलाओं द्वारा सामूहिक पूजन, वृक्ष परिक्रमा सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा पूर्वक संपन्न किये जाते हैं. महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती है.
अहले सुबह स्नान करने के बाद आंवला पेड़ पर कच्चा दूध, हल्दी, रौली लगाया जाता है. इसके बाद आंवला पेड़ की परिक्रमा कर व्रती मौली बांधती है. आंवला के पेड़ पर दूध चढ़ाएं और सिंदूर, चंदन से तिलक कर शृंगार का सामान चढ़ाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा आंवले के रूप में की गयी थी और इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया था. यह भी कहा जाता है कि आंवले के पेड़ के नीचे श्री हरि विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है. यह भी मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और आंवला नवमी की पूजा करने से श्रीहरि विष्णु का सानिध्य प्राप्त होता है.
आंवला नवमी की कथा मां लक्ष्मी से जुड़ी होने के कारण इस दिन सबसे पहले मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा करने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु और शिवजी की कृपा भी प्राप्त होती है. मान्यता है कि आंवला के सेवन करने मात्र से ही श्री हरि प्रसन्न होते हैं.
आंवला नवमी या अक्षय नवमी की पूजन प्रातः सूर्योदय के बाद किसी भी समय किया जा सकता है. लेकिन, शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बज कर 6 मिनट से 7 बज कर 26 मिनट तक, दिवा 09:01 से 10:09 बजे तक, दिवा 11:11 से 11:52 बजे तक एवं दिवा 12: 54 से संध्या 04:57 बजे तक पूजा की शुभ मुहूर्त है.
Posted By : Samir Ranjan.