Bahuda Rath Yatra 2022: ओडिशा के पुरी की तर्ज पर सरायकेला-खरसावां में शनिवार की शाम भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा रथ यात्रा (वापसी रथ यात्रा) निकाली जायेगी. जय जगन्नाथ व हरि बोल के उद्घोष के बीच प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर के लिये रवाना होंगे. शनिवार को बाहुड़ा रथ यात्रा के दिन दोपहर को गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ बलभद्र व देवी सुभद्रा की मध्यान्न आरती उतारने के साथ साथ खीर-खिचड़ी का भोग लगाया गया.
निकलेगी बाहुड़ा रथ यात्रा
फिर एक बार प्रसाद चढ़ाने व आरती उतारने के बाद महाप्रभु की बाहुड़ा रथ यात्रा निकलेगी. प्रभु जगन्नाथ के रथ ‘नंदिघोष’ को गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर की ओर मोड़ दिया गया है. शनिवार को दिन भर गुंडिचा मंदिर में सभी रस्मों को निभाया जायेगा. इसको लेकर सुबह में पूजा अर्चना की जा रही है. रथ यात्रा के अंतिम दिन गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के पूजा के लिये शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे.
हरिभंजा में महाप्रभु को अर्पित की जायेगी ‘छप्पन भोग’
खरसावां के हरिभंजा में बाहुड़ा रथ यात्रा के दौरान महाप्रभु जगन्नाथ को छप्पन भोग अर्पित किया जायेगा. जानकारी के अनुसार शाम करीब पांच बजे हरिभंजा के गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन की आरती उतारी जायेगी. फिर ‘पोड़ पिठा’ व ‘छेना पोड़ा’ को भोग लगाया जायेगा. इसके पश्चात सेवायतों द्वारा चतुर्था मूर्ति को रथारुढ़ कराते हुए भक्त प्रभु जगन्नाथ के रथ को खींच कर मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचायेंगे. गुंडिचा मंदिर से श्री मंदिर के मुख्य गेट में पहुंचने पर पहले अधरपणा रस्म को निभाया जायेगा. इसके पश्चात छप्पन भोग समेत अन्य रस्म भी निभाये जायेंगे. 56 भोग की रस्म में प्रभु को 56 प्रकार के मिष्टान्न भोग लगाये जायेंगे. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के श्री मंदिर पहुंचने पर पारंपरिक शंखध्वनी व हुल-हुली के साथ स्वागत किया जायेगा.
सरायकेला में शनिवार को श्रीमंदिर पहुंचेंगे प्रभु जगन्नाथ
सरायकेला में गुंडिचा रथ यात्रा की तरह बाहुड़ा रथ यात्रा भी दो दिनों की होगी. यहां प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा के साथ शनिवार को गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर के लिये निकलेंगे. शनिवार को रास्ते में ही रथ पर रात्रि विश्राम करने के बाद रविवार की शाम को गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे. इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रभु जगन्नाथ के रथ को खींचेंगे. रथ यात्रा के दौरान भव्य मेला का भी आयोजन किया गया गया है. शनिवार को गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के पूजा के लिये सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटी रही. बड़ी संख्या में भक्तों ने गुंडिचा मंदिर में पहुंच कर पूजा अर्चना की.
गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे प्रभु जगन्नाथ
खरसावां में भक्तों के शंख ध्वनी व उलुध्वनी के बीच प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा शनिवार को देर शाम गुंडिचा मंदिर से राजवाड़ी स्थित प्रभु जगन्नाथ के मंदिर पहुंचेंगे. खरसावां गुंडिचा मंदिर के सामने प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदिघोष को गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर की ओर मोड़ दिया गया है. भक्त प्रभु जगन्नाथ के रथ को खींचते हुए गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक पहुंचायेंगे. प्रभु जगन्नाथ के गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर वापस लौटने के साथ ही इस वर्ष का रथ यात्र संपन्न हो जायेगा. खरसावां व कुचाई के ग्रामीण क्षेत्रों में बाहुड़ा रथ यात्रा की तैयारी पूरी हो चुकी है. हरिभंजा, दलाईकेला, संतारी, पोटोबेड़ा, कुचाई के बंदोलौहर व गालुडीह, चांडिल, सीनी शनिवार की शाम तक प्रभु जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर पहुंचेंगे.
चांडिल में अलग अलग तीन रथों पर निकलेगी बाहुड़ा रथ यात्रा
चांडिल में बाहुड़ा रथ यात्रा में अलग अलग तीन रथों पर सवार हो कर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा गुंडिचा मंदिर (मोसीबाड़ी) से श्रीमंदिर लौटेंगे. सबसे पहले प्रभु बलभद्र ‘तालध्वज’ नामक रथ पर रहेंगे. इसके पिछे देवी सुभद्रा ‘देवदलन’ रथ पर सवारी करेंगी. सबसे पिछे प्रभु जगन्नाथ ‘नंदिघोष’ रथ पर आरुढ़ हो कर गुंडिचा मंदिर से अपने निज मंदिर में पहुंचेंगे. मालूम हो कि जूना अखाड़ा के महंत विद्यानाथ सरस्वती के नेतृत्व में यहां रथ यात्रा का आयोजन होता है.
खरसावां में ओड़िया पाला का होगा आयोजन
बाहुड़ा रथ यात्रा के मौके पर खरसावां में राजवाड़ी परिसर में ओड़िया संस्कृति से जुडे पाला का आयोजन किया जायेगा. ओड़िशा के कोणार्क की आरोही पाला कला परिषद के कलाकारों द्वारा बादी पाला का आयोजन किया जायेगा. ओड़िशा सरकार के ओड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति विभाग के तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा.
कल्कि अवतार में प्रभु जगन्नाथ-बलभद्र ने दिए भक्तों को दिये दर्शन
सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में शुक्रवार की रात भगवान जगन्नाथ व बलभद्र ने भक्तों को कलकी अवतार में दर्शन दिए. भगवान जगन्नाथ को काला घोड़ा व भगवान बलभद्र को सफेद घोड़ा में बैठकर हाथों में तलवार लिये युद्ध मैदान में जाते दर्शाया गया है. प्रभु के कलकी अवतार को देखने के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, अमित महापात्र, पार्थ सारथी दाश, शुभम कर , मुकेश साहू , अनुभव (मानू )सत्पथी, एव विक्की सत्पथी द्वारा भगवान जगन्नाथ -बलभद्र के कलकी अवतार की वेष सज्जा की गई. दोनों ही प्रतिमाओं को आकर्षक रूप से सजाया गया था. झारखंड में सिर्फ सरायकेला में ही रथ यात्रा के दौरान प्रभु अलग अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
रिपोर्ट : शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला