Jharkhand news, Saraikela news : सरायकेला (शचिंद्र कुमार दाश) : सरायकेला- खरसावां जिला में केज से हो रही मत्स्य पालन अब पड़ोसी राज्यों को भी खूब भा रही है. यहां जिला के चांडिल डैम में केज कल्चर (Cage Culture) से हो रहे मत्स्य पालन (Fisheries) का जायजा लेने के लिए मंगलवार को बिहार के मत्स्य विभाग के अधिकारी पहुंचे. बिहार राज्य के मत्स्य निदेशक धर्मेंद्र कुमार (भाप्रसे) के नेतृत्व में अधिकारियों के दल ने केज में मत्स्य पालन की बारिकियों को जाना. साथ ही चांडिल डैम में केज कल्चर की तर्ज पर बिहार में भी मत्स्य पालन को अपनाने पर जोर दिया.
अधिकारियों के इस दल में बिहार राज्य के मत्स्य निदेशक धर्मेंद्र कुमार के साथ बिहार के संयुक्त मत्स्य निदेशक दिलीप सिंह, उप मत्स्य निदेशक आभाष मंडल एवं बांका के जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्णकांत सिन्हा मौजूद थे. अधिकारियों के दल ने चांडिल डैम में हो रहे केज विधि के साथ- साथ आरएफएफ विधि (RFF method) से हो रही मत्स्य पालन को देखा एवं समझा. मत्स्य पालन के अलावे चांडिल फिश फीड मिल (Chandil Fish Feed Mill) का संचालन कार्य को भी देखा एवं इसे सराहा. साथ ही चांडिल डैम स्तरीय सहकारिता समितियों के कार्यप्रणाली के बारे में भी जानकारी प्राप्त की.
मौके पर बिहार राज्य के मत्स्य निदेशक धर्मेंद्र कुमार ने अपनी टीम को इसी आधार पर बिहार में केज में मत्स्य पालन प्रारंभ करने का निदेश दिये. उन्होंने कहा कि चांडिल में केज में काफी बेहतर ढंग से मत्स्य पालन हो रहा है. उन्होंने कहा कि केज में मत्स्य पालन के तरीके को बिहार भी अपनायेगा.
मौके पर झारखंड के मत्स्य निदेशक डॉ ह्रींगनाथ द्विवेदी, रांची के जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ अरुप चौधरी, रांची के सहायक मत्स्य निदेशक शंभू यादव, सरायकेला- खरसावां के जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार, समिति के अध्यक्ष श्यामल मार्डी एवं सचिव नारायण गोप भी मौजूद रहे. इस दौरान चांडिल मत्स्यजीवी महिला समिति (Chandil Fisheries Women Committee) के सदस्यों ने अधिकारियों का पारंपरिक संताली नृत्य से स्वागत किया.
चांडिल डैम में केज कल्चर के माध्यम से हो रहे मत्स्य पालन पूरे देश के लिए रॉल मॉडल बन गया है. यहां मत्स्य पालन के जरिये हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से भी मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिला में उत्पादित मछली को बाहर भेजा जाता है.
चांडिल डैम में करीब 300 विस्थापित परिवार मत्स्य पालन से जुड़े हैं. चांडिल डैम में छोटे- बड़े मिला कर करीब 22 समिति केज कल्चर के माध्यम से मत्स्य पालन कर रहे हैं. 22 समिति के लोग मत्स्य पालन को बढ़ावा देने का भी काम कर रहे हैं. हर साल मत्स्य विभाग द्वारा चांडिल डैम में रोहू, कतला और पंगेशियस का मछली छोड़ा जाता है. जिस डैम के किनारे बसे विस्थापित भी मछली पकड़ कर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं. साथ ही डैम के खुले में करीब 1000 विस्थापित मछली पकड़ कर अपना रोजगार प्राप्त कर रहे हैं. डैम के केज में बड़े पैमाने पर पंगेशियस मछली की भी खेती की जा रही है.
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Posted By : Samir Ranjan.