Durga Puja 2020 : सरायकेला (शचिंद्र कुमार दाश) : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के राजवाड़ी में 16 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करने की परंपरा है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को सरायकेला के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव के साथ-साथ राजपरिवार के सदस्य श्रद्धा, भक्ति व उत्साह के साथ निभाते हैं. राजवाड़ी स्थित पाउडी मंदिर में मां दुर्गा की पूजा जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक होती है. इस दौरान पूजा में राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव, रानी अरुणिमा सिंहदेव समेत राजपरिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं.
इस वर्ष मलमास पड़ने के कारण 16 दिनों की दुर्गा पूजा को दो चरणों में पूरा किया जा रहा है. पहले चरण में जिउतियाष्टमी से महालया तक मां की पूजा की गयी. इसके बाद मलमास के कारण 18 सितंबर से 16 अक्तूबर तक माता की पूजा बंद रही. इस दौरान भी मंदिर में अखंड ज्योत जलती रही. 17 अक्तूबर को नवरात्र के दिन दूसरे चरण में माता की पूजा शुरु हुई, जो अब 23 अक्तूबर को महाष्टमी के दिन संपन्न होगी.
इस वर्ष डेढ़ महीने तक राजमहल परिसर में मौजूद मां पाउड़ी मंदिर में अखंड ज्योति जलती रहेगी. जिउतिया से षष्टी तक यह पूजा मां पाउड़ी मंदिर में होती है. फिर षष्टी के दिन शस्त्र पूजा के बाद बाकी दिनों की पूजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में होती है. षष्टी के दिन राजा तथा राजपरिवार के सदस्य खरकई नदी के तट पर शस्त्र पूजा करते हैं. फिर राजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में जाकर मां दुर्गा का आह्वान कर पूजा करते हैं. दुर्गा पूजा के दौरान राजवाड़ी के भीतर में नवपत्रिका दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है.
सरायकेला राजपरिवार की 64 पीढ़ियां निर्वाध रुप से मां दुर्गा की पूजा करती आ रही है. सन् 1620 में राजा विक्रम सिंह द्वारा सरायकेला रियासत की स्थापना के बाद से ही राजमहल परिसर में मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत की थी. सरायकेला रियासत के स्थापना से लेकर भारत की आजादी तक सिंह वंश की 61 पीढ़ियों ने राजा के रुप में राजपाट चलाया और माता दुर्गा की पूजा की.
देश की आजादी के बाद सिंह वंशज की 62 पीढ़ी के राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव व 63 वें पीढ़ी के राजा सत्य भानु सिंहदेव ने मां दुर्गा की पूजा को आगे बढ़ाया. वर्तमान में सरायकेला रियासत के राजा व सिंह वंश के 64 वें पीढ़ी के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव इस रियासती परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. यहां मां भगवती की पूजा आज भी उसी परंपरा के साथ होती है, जो कभी राजा-राजवाड़े के समय हुआ करती थी.
शक्ति की देवी व राजघराने की इष्टदेवी मां पाउड़ी का मंदिर राजमहल के भीतर स्थित है. साल में एक बार दुर्गा पूजा के दौरान नवमी के दिन नुआखाई के बाद राजपरिवार के सदस्य भी मां पाउड़ी मंदिर में जाते हैं. दुर्गा पूजा में नवमी के दिन नुआखाई का आयोजन किया जाता है. इस दिन साल के नयी फसल से तैयार चावल का भोग देवी को समर्पित किया जाता है. इसके बाद राजपरिवार के सदस्य नुआई खाई का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस मंदिर में स्त्री को केवल साड़ी पहनकर तथा पुरुष को केवल धोती व गमछा पहनकर जाने की परंपरा है.
सरायकेला राज घराने के राजा राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने कहा कि जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक 16 दिनों की यह पूजा राजतंत्र के दौरान विभिन्न राज परिवारों के द्वारा की जाती थी, लेकिन इसे सरायकेला राजपरिवार आज भी पूरे भक्ति भाव के साथ निभा रहा है. दुर्गा पूजा के दौरान सभी आयोजन सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार होते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra