Jharkhand News, सरायकेला न्यूज (शचिंद्र कुमार दाश) : मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् मधुसुदनम, मंगलम् पुंडरी काख्य, मंगलम् गरुड़ ध्वज, माधव माधव बाजे, माधव माधव हरि, स्मरंती साधव नित्यम, शकल कार्य शुमाधवम् … जैसे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुक्रवार को सरायकेला-खरसावां के जगन्नाथ मंदिर में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन का नेत्र उत्सव संपन्न हुआ.
शुक्रवार को एक पखवाड़े के बाद सभी जगन्नाथ मंदिरों के कपाट खुले. सरायकेला, खरसावां, हरिभंजा, चांडिल के जगन्नाथ मंदिरों में इस वर्ष नेत्र उत्सव के दौरान नव यौवन रुप के दर्शन की रस्म अदायगी की गयी. मालूम हो कि पिछले 24 जून को स्नान पूर्णिमा के दिन 108 कलश पानी से स्नान करने के कारण चतुर्था मूर्ति बीमार हो गये थे. 14 दिनों तक अणसर गृह में प्रभु की गुप्त सेवा की गयी. देसी नुस्खा पर आधारित जुड़ी-बूटी से तैयार दवा पिला कर इलाज किया गया.
Also Read: Jagannath Rath Yatra 2021 :जगन्नाथ रथ यात्रा में हस्तक्षेप से झारखंड हाइकोर्ट का इनकार, निर्णय सरकार पर छोड़ाखरसावां के हरिभंजा स्थित जगन्नाथ मंदिर में शुक्रवार को सोशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन करते हुए प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन का नेत्र उत्सव किया गया. बीमारी के कारण 15 दिनों तक मंदिर के अणसर गृह में इलाजरत चतुर्था मूर्ति ( प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन) स्वस्थ्य हो कर नये रूप में दर्शन दिये. इसे प्रभु के नव यौवन रूप कहा जाता है. मौके पर पुरोहित प्रदीप कुमार दाश, भरत त्रिपाठी ने पूजा अर्चना की, जबकि यजमान के रुप में जमीनदार विद्या विनोद सिंहदेव मौजूद रहे. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनि व पारंपरिक उलध्वनी (हुलहुली) के बीच चतुर्था मूर्ति के अलौकिक नव यौवन रूप के दर्शन भी हुए. कोविड-19 को लेकर इस वर्ष सादगी के साथ के साथ नेत्र उत्सव के रस्म को निभाया गया.
Also Read: गुमनामी में जी रही राष्ट्रीय खिलाड़ी सुमंती, गरीबी ने चकनाचूर किए सपने, हेमंत सरकार से लगायी मदद की गुहारखरसावां के राजवाड़ी स्थित जगन्नाथ मंदिर में शुक्रवार को पूरे विधि विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ का नेत्र उत्सव किया गया. मौके पर राज पुरोहित अंबुजाख्य आचार्य, गुरु विमला षडंगी व मंदिर के पूजारी राजाराम सतपथि ने पूजा अर्चना की. इस दौरान तीनों ही मूर्तियों को नये वस्त्र पहनाये गये. पूजा के साथ साथ के साथ साथ हवन किया गया तथा चतुर्था मूर्ति को मिष्ठान्न व अन्न भोग चढ़ाया गया. मौके पर राजमाता विजया देवी, राजा गोपाल नारायण सिंहदेव, रानी अपराजीता सिंहदेव, राकेश दाश, गोवर्धन राउत आदि मौजूद रहे. नेत्र उत्सव पूजा सादगी व शांति पूर्वक ढंग से किया गया. सभी लोग पूजा में सोशल डिस्टेंश बनाये हुए थे.
Also Read: पर्यटकों का मन मोह लेता है साहिबगंज का बड़ी झरना, पानी की ये है खासियत, युवा लेते हैं ट्रैकिंग का आनंदसरायकेला के जगन्नाथ मंदिर में शुक्रवार को उत्कलीय परंपरा के अनुसार प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव किया गया. इस दौरान सीमित संख्या में पूजारियों ने सभी धार्मिक रश्मों को निभाया. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा को अणसर गृह से मंदिर मंदिर के रत्न सिंहासन में ला कर बैठाया गया. इसके पश्चात तीनों ही प्रतिमाओं का भव्य श्रृंगार किया गया. इस दौरान मुख्य रुप से श्री जगन्नाथ सेवा समिति सरायकेला के अध्यक्ष सुधीर चंद्र दाश, सचिव कार्तिक परीक्षा, पूजारी ब्रम्हानंद महापात्र, बादल दुबे, सुशांत महापात्र, राजेश मिश्रा, शंकर सतपथी, सुमीत महापात्र, प्रशांत महापात्र आदि उपस्थित थे.
Also Read: झारखंड के गुमला में 252 आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, जिला प्रशासन का ये है प्लानश्री साधु बांध मठिया दशनामी नागा सन्यासी आश्रम, चांडिल में प्रभु जगन्नाथ नेत्र उत्सव आयोजित की गयी. शुक्रवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावाश्या तिथि पर विधि-विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नव यौवन रुप के दर्शन हुए, इस दौरान मंदिर मे तीनों ही प्रतिमाओं को नया वस्त्र पहना कर पूजा अर्चना की गयी. पूजन के साथ हवन भी हुआ. पूजा अर्चना के बाद महाआरती का आयोजन किया गया. इस दौरान साधु बांध मठिया के महंत इंद्रानंद सरस्वती सरस्वती, प्रमुख प्रबोध उरांव, आशीष कुंडू, दीपू जायसवाल, आनंद पसारी, मृत्यंजय सोनी आदि उपस्थित थे.
Also Read: Jharkhand Naukri News :Tata Steel में मैट्रिक पास के लिए नौकरी,आवेदन के लिए ये है अनिवार्य,पढ़िए पूरी डिटेल्ससरायकेला-खरसावां के जगन्नाथ मंदिरों में प्रभु जगन्नाथ के नेत्र उत्सव में भी कोविड-19 का असर दिखा. सरकार के निर्देशों का पालन किया गया. मंदिरों में पूजा के दौरान भी भक्तों की संख्या बहुत ही कम रही. इक्के-दुक्के श्रद्धालु ही पूजा में नजर आये. श्रद्धालुओं ने घर से ही पूजा अर्चना कर मन्नत मांगा. मंदिरों में पूजा के दौरान सिर्फ पुरोहितों ने ही सभी रश्मों को निभाया. पूजा अर्चना में भी सोशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन किया गया. यहां तक कि पुरोहित भी फेस मास्क लगा कर पूजा करते नजर आये.
Posted By : Guru Swarup Mishra