खरसावां : छठी जेपीएससी के अंतिम परीक्षा परिणाम को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. छठी जेपीएससी के अंतिम परीक्षा परिणाम को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के बाद अब सत्ताधारी झामुमो के विधायक ने भी सवाल खड़े कर दिये हैं. खरसावां से झामुमो विधायक दशरथ गागराई ने परीक्षा परिणाम को लेकर सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर परिणाम को रद्द करने की मांग की है.
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प्रभात खबर प्रतिनिधि शचीन्द्र कुमार दाश से बातचीत में उन्होंने कहा कि परीक्षाफल प्रकाशन में हुई त्रुटियों पर ध्यान दिलाते हुए मुख्यमंत्री से परीक्षा परिणाम निरस्त करने की मांग की है. खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तीन पन्ने का एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने छठी जेपीएससी के अंतिम परीक्षा परिणाम को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि छठी जेपीएससी परीक्षा के प्रारंभिक परीक्षाफल से मुख्य एवं अंतिम परीक्षाफल तक आयोग द्वारा नियुक्ति नियमावली के शर्तों और आरक्षण रोस्टर का अनुपालन नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही परीक्षाफल के प्रकाशन में अन्य कई तरह की त्रुटियां हैं. पत्र में कहा गया है कि नियम था कि पेपर-एक की परीक्षा क्वालीफाइंग होगी, जिसमें दो खंडों का पेपर 100 अंकों का होगा. 50 हिंदी और 50 अंग्रेजी के अंक होंगे. इसमें 30 अंक लाना अनिवार्य होगा. लेकिन जेपीएससी ने इस शर्त का उल्लंघन किया है.
अंतिम परीक्षाफल के प्रकाशन में अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ 600 तय किया गया था, एसटी/एससी/बीसी-1/बीसी-2 के वैसे छात्र जो फाइनल मेरिट लिस्ट में 600 से अधिक अंक लाकर अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए, परंतु उनके प्राथमिकता वाले सेवा चुनाव को दरकिनार कर नियम विरुद्ध मेरीट लिस्ट बनाया गया. कम अंक प्राप्त करने वाले एक ही श्रेणी के उम्मीदवारों को प्रशासनिक सेवा में चयन किया गया.
बीसी-3 श्रेणी में अंतिम रूप से चयनित ऐसे उम्मीदवार, जिनका चयन अनारक्षित श्रेणी में प्रशासनिक सेवा के लिए होना चाहिए था, साथ ही बीसी-2 श्रेणी में किसी और का पुलिस सेवा के लिए चयन होता. इसमें भी भारी गड़बड़ी हुई है. आयोग द्वारा ना तो फाइनल मेरिट लिस्ट मार्क्स वाईज और ना ही सेवा के अनुसार कट ऑफ मार्क्स जारी किया है.
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य हित में दूरदर्शी, संवेदनशीलता का परिचय देते हुए छठी जेपीएससी परीक्षा जो कि प्रारंभिक परीक्षाफल से लेकर अंतिम परीक्षाफल तक विवादित और त्रुटिपूर्ण रहा, को निरस्त करते हुए नयी नियमावली के साथ 6वीं, 7वीं, 8वीं और 9 वीं सिविल सेवा नियुक्ति परीक्षा संयुक्त रूप से कराने की मांग की है.