खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश: इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर (सोमवार) को है. शास्त्रों में इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है. कार्तिक पूर्णिमा पर नदी-सरोवरों में स्नान करने की परंपरा है. कार्तिक पूर्णिमा पूजा-पाठ, नदी स्नान और दान-पुण्य के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है. कार्तिक पूर्णिमा का स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जायेगा. सरायकेला-खरसावां के अधिकांश क्षेत्रों में लोग कार्तिक पूर्णिमा का स्नान सोमवार को अहले सुबह में ही करेंगे.
कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष पूजा-अर्चना
कार्तिक पूर्णिमा की स्नान के बाद लोग मंदिरों में खास कर श्रीकृष्ण मंदिर, जगन्नाथ मंदिर व हरि मंदिर में भक्तों पूजा के लिए पहुंचेंगे. सोमवार को अधिकांश मंदिर अहले सुबह ही खोले जायेंगे. इस दौरान विशेष रूप से पूजा-अर्चना भी की जायेगी. इसके लिए मंदिरों में भी विशेष व्यवस्था की गयी है. कार्तिक पूर्णिमा पर इस साल बेहद दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है, जो श्रद्धालुओं के लिए हितकारी है.
तुलसी मंडप पर रंगोली बना कर की जाएगी राय-दामोदर की पूजा
कार्तिक पूर्णिमा पर कार्तिक स्नान के बाद महिलाएं तुलसी के पौधा के सामने रंगोली बना कर भगवान विष्णु के राई-दामोदर स्वरूप की पूजा अर्चना करेंगे. इसके साथ ही विष्णु पंचुक व्रत का समापन भी होगा. मालूम हो कि पिछले एक सप्ताह से पंचुक के दौरान व्रती दिन भर में एक ही बार सात्विक भोजन ग्रहण करते आ रहे है. अन्न-भोजन को विशेष विधि विधान के साथ तैयार किया जाता है. पंचुक पर खाये जाने वाले भोजन को हबिसान्न कहा जाता है. कहा जाता है कि पंचुक पर पूण्य कार्य करने से मोक्ष की प्राप्ती होती है. ओड़िया समुदाय की वर्षो पुरानी यह परंपरा अब भी चली आ रही है. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर प्रभु जगन्नाथ के दर्शन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ओड़िया समुदाय के लोग कार्तिक पूर्णिमा को सबसे पूर्ण दिन मानते है और इस दिन को हर संभव पूण्य कार्य करते हैं.