Good News : खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश) : सरायकेला-खरसावां जिले के आदिम जनजाति बहुल गांवों की सूरत बदलने की प्रशासनिक तैयारी शुरु हो गयी है. पीवीटीजी ग्रामोत्थान योजना के तहत पीवीटीजी गांवों का समेकित विकास करते हुए आदर्श गांव के रुप में विकसित किया जाना है. कुचाई, नीमडीह व चांडिल प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांवों में आदिम जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं.
वर्ष 2020-21 में आदिम जनजाति बहुल गांवों में आवास, पेयजल, आजीविका, सोलर स्ट्रीट लाइट, तालाब निर्माण, स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र व स्वास्थ्य उपकेंद्रों की मरम्मत के साथ-साथ ही बुनियादी संरचनाओं को सुदृढ़ करने की योजना है. इसको लेकर आदिवासी कल्याण आयुक्त ने जिले से आईटीडीए परियोजना से प्रस्ताव मांगा है. इस पत्र के आलोक में आईटीडीए परियोजना निदेशक ने कुचाई, नीमडीह व चांडिल प्रखंड के बीडीओ को पत्र लिखकर गांवों में आवश्यकता अनुसार प्रस्ताव मांगा है. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आदिम जनजाति बहुल गांवों में बैठक कर जल्द से जल्द प्रस्ताव लेने को कहा गया है.
वर्ष 2020-21 में छूटे हुए सभी आदिम जनजाति परिवार के लोगों को बिरसा आवास योजना के तहत पक्का मकान, पेयजलापूर्ति के लिए डीप बोरिंग, सोलर समरसेवल, मिनी जलापूर्ति आदि के माध्यम से स्वच्छ पानी पहुंचाने, टोलों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने, आवश्यकता अनुसार आंगनबाड़ी केंद्र व स्वास्थ्य उप केंद्रों की मरम्मत व रंग-रोगन करने, आवश्यकता अनुसार तालाब निर्माण कराने का प्रस्ताव मांगा गया है. इसके साथ ही बुनियादी संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण करने के लिए आवश्यकतानुसार गांव में आवागमन की सुविधा के लिये पेवर्स ब्लॉक ग्रामीण पथ निर्माण, नाली व सिंचाई नाला का निर्माण, आरसीसी पुलिया के निर्माण का प्रस्ताव मांगा गया है.
आदिम जनजाति वर्ग के लोगों को आजीविका उपलब्ध कराने पर जोर है. ग्रामोत्थान योजना के तहत आदिम जनजाति वर्ग के लोगों को आजीविका उपलब्ध कराने पर जोर है. अब भी आदिम जनजाति वर्ग के लोगों के सामने आजीविका एक बड़ी समस्या है. सरायकेला-खरसावां जिले में रहने वाले अधिकतर आदिम जनजाति वर्ग के लोग जंगल व वनोत्पाद पर निर्भर हैं. इस वर्ग के अधिकतर लोग अब भी बांस व घास से विभन्न घरेलू सामग्रियों का निर्माण कर आजीविका चलाते हैं.
कुचाई प्रखंड में रहने वाले बिरहोर समुदाय के लोग जहां सीमेंट की बोरी से रस्सी बनाने का काम करते हैं, जबकि चांडिल-नीमडीह प्रखंड के इस समुदाय के लोग बांस से हैंडीक्राफ्ट बनाते हैं. विभाग की ओर से हैंडीक्राफ्ट सामग्रियों का निर्माण, पत्ता प्लेट निर्माण से लेकर बकरी व मुर्गीपालन के जरिए आजीविका उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक कर प्रस्ताव मांगा गया है.
सरायकेला-खरसावां जिले के इन गांवों में आदिम जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं.
कुचाई प्रखंड : जोड़ासरजम व बिरगामडीह
चांडिल प्रखंड : आसनबनी, रामगढ़, कांदरबेड़ा, जामडीह, कदमझोर, मकुला, , काठजोड़, माचाबेड़ा, दिगारदा, कदमबेड़ा, आमकोचा, डूंगरीडीह, बाडेदा, पासानडीह व कोडाबुरु
नीमडीह प्रखंड : चालियामा, पोड़ाडीह, फारेंगा, बिंदुबेडा, तेतलो, सामानपुर, भांगाट, मालूका, बुरुडीह, डूमरडीह व तनकोचा
Posted By : Guru Swarup Mishra