खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधिन संचालित पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत खूंटपानी में संचालित कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर शिक्षकों एवं छात्रों ने इसरो के वैज्ञानिक रहे कॉलेज के एसोसिएट डीन डॉ अंगदी रब्बानी को सम्मानित किया. मिशन की सफलता पर डॉ रब्बानी ने कॉलेज परिसर में टिकोमा का पौधा लगाया.
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता देश के लिए गर्व की बात
समारोह में कॉलेज के शिक्षकों एवं छात्रों ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर डॉ रब्बानी को बधाई देते हुए कहा कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता देश के लिए गर्व का विषय है. डॉ रब्बानी ने कहा कि वे इसरो के वैज्ञानिक रहे हैं. उन्हें गर्व है कि इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम उतारकर एक वैश्विक तौर पर असंभव मुकाम को हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया. इसरो के वैज्ञानिकों की लगन, कठिन परिश्रम एवं लगातार प्रयासों से ही भारत इस लक्ष्य को हासिल करने वाला विश्व का अग्रणी और पहला देश बन गया है.
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14 दिनों तक चंद्रमा की जलवायु और मिट्टी की स्थिति को होगा अध्ययन
उन्होंने कहा कि इस मिशन की लागत हॉलीवुड फिल्म में किए गए खर्च से काफी कम है. यह सफलता भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र बनाने वाले इसरो वैज्ञानिकों की टीम के निरंतर प्रयासों के कारण संभव हुई है. यह हमारे इसरो वैज्ञानिकों का राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि इस सफल लैंडिंग के साथ ही रोवर 14 दिनों तक चंद्रमा की जलवायु एवं मिट्टी की स्थिति और चंद्रमा के कई अन्य मापदंडों (खनिजों की तरह) का अध्ययन करेगा.
गर्व है कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक हमारे साथ कार्य कर रहे हैं : डॉ ओंकार नाथ सिंह
इस मौके पर उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय को इस बात पर गर्व है कि खूंटपानी स्थित कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर के नए परिसर के विकास के लिए इसरो के अनुभवी वैज्ञानिक हमारे साथ काम कर रहे हैं. इसरो से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ अंगदी रब्बानी वर्त्तमान में कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, खूंटपानी का नेतृत्व कर रहे हैं.
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इसरो में 34 वर्षों तक कार्य कर चुके हैं डॉ रब्बानी
डॉ अंगदी रब्बानी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर), श्रीहरिकोटा में एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में कार्य किया. इन्होंने इसरो में 34 वर्षों तक सेवा की. भारतीय कृषि प्रणाली के फसल क्षेत्र और उत्पादन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग के विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने में उल्लेखनीय योगदान दिया. उन्होंने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की जैव विविधता के संरक्षण का दायित्व बखूबी निभाया. यह वही स्थल है, जहां से भारत के अंतरिक्ष उपग्रह प्रक्षेपण हुआ है.
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति
इधर, कार्यक्रम में स्वागत भाषण सहायक निदेशक (प्रशासन) ज्ञान सिंह दोरायबुरु ने दिया, जबकि संचालन एवं धन्यवाद डॉ अपूर्वा पाल ने दी. मौके पर युवा समाजसेवी विश्वजीत प्रधान के अलावा डॉ श्वेता सिंह, डॉ अर्केंदु घोष, डॉ अमित कुमार, डॉ अदिति गुहा चौधरी, डॉ श्वेता कुमारी, अवधेश कुमार सहित सभी छात्र – छात्राएं भी मौजूद थे.
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