Jharkhand News: झारखंड में डायन कुप्रथा के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाये जा रहे हैं. इसके बावजूद डायन के नाम पर प्रताड़ना की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. डायन प्रताड़ना सिर्फ सरायकेला-खरसावां में ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य जिलों में भी जारी है. गुरूवार को चतरा जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत तालसा गांव की 70 वर्षीया बुजुर्ग महिला बीरबांस स्थित पद्मश्री छुटनी देवी के घर न्याय के लिए पहुंची. इस दौरान वृद्धा ने अपने नाम के साथ लगे डायन शब्द से छुटकारा दिलाने की गुहार लगायी. पद्मश्री छुटनी देवी ने भी वृद्धा को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया.
वृद्धा ने बताया कि 25 जनवरी को उनके तीनों देवर व देवरानियों द्वारा डायन के नाम पर प्रताड़ित करते हुए गाली-गलौज शुरू कर दिया गया. इसका विरोध करने पर वे मारपीट को उतारू हो गये. पति व पुत्र की शारीरिक कमजोरी की वजह से वह अपने पोता के साथ किसी तरह जान बचाकर घर से निकल गयीं. इसके बाद उन्हें पद्मश्री छुटनी देवी की याद आयी तो चतरा से ही फोन पर संपर्क कर खोजबीन करते-करते जमशेदपुर पहुंचीं, जहां से छुटनी देवी द्वारा उन्हें अपने घर लाया गया. वृद्धा ने बताया कि उनके चाचा ससुर के परिवार के साथ जमीन विवाद चल रहा है. अपने हिस्से की भी जमीन वे छोड़ दें. इसके लिए उनके नाम के साथ डायन जोड़कर करीब आठ वर्ष से प्रताड़ित किया जा रहा है. इससे वे तंग आ चुकी हैं.
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पीड़िता ने बताया कि 2014 में उनके देवर के पुत्र की तालाब में डूबने से मृत्यु हो गयी थी. इसके बाद से ही उन्हें डायन कहकर प्रताड़ित करना शुरू किया गया. मामले को लेकर 2017 में पंचायत बुलाकर मामले का निष्पादन किया गया, लेकिन इस वर्ष एक जनवरी से फिर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया है.
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पीड़िता ने बताया कि उनके रिश्तेदारों के द्वारा डायन के नाम से प्रताड़ित करने के साथ-साथ शरीर से भूत भगाने के लिए भी दबाव बनाया गया. इसको लेकर उन्हें गया ले जाकर पूजा-पाठ करवाया. इस पूजा-पाठ में उनका करीब तीन लाख रुपये खर्च हो गया.
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पद्मश्री छुटनी देवी ने कहा कि डायन के नाम पर प्रताड़ना वे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे. फरवरी में स्वयं चतरा जाकर स्थानीय प्रशासन से मिलकर पीड़िता को न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे. तब तक पीड़िता उनके पास ही रहेंगी.
रिपोर्ट: उत्तम कुमार