छपरा : कोरोना वायरस के सक्रमण से बचाव के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच रोजी-रोटी गंवा चुके मजदूरों के सामने कई समस्याएं आ खड़ी हुई है. जिसके बाद प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने राज्यों में लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. इसी कड़ी में अन्य राज्यों में फंसे मजदूर सैकड़ों किलोमीटर का फासला पैदल, साइकिल, ट्रक या फिर अन्य साधनों का सहारा लेकर तय कर रहे हैं. ऐसे ही बिहार निवासी 25 वर्षीय एक युवक ने हैदराबाद से 17 दिनों में साइकिल चला कर छपरा स्थित अपने घर पहुंचा.
तरैया प्रखंड के नेवारी गांव निवासी शुभ नारायण महतो के 25 वर्षीय पुत्र प्रवासी कामगार मोहन महतो 17 दिनों में साइकिल चला कर हैदराबाद से सोमवार को घर पहुंचा. मोहन महतो ने बताया कि वह अपने कमाई के रुपये से एक साइकिल खरीदा और हैदराबाद से घर के लिए रवाना हो गया. इस दौरान वह 17 दिनों तक लगातार साइकिल चलाता रहा और तब जाकर घर पहुंचा. घर पहुंच कर रेफरल अस्पताल तरैया पहुंचा और मेडिकल जांच कराकर प्रखंड क्वारेंटाइन सेंटर में क्वारन्टीन हो गया.
मोहन के जैसा कई ऐसे अन्य युवक हैं जो या तो पैदल या ट्रकों से अपने घर पहुंचे हैं. इनमें से कुछ लोग क्वारेंटाइन सेंटर में चले गये हैं, जबकि अधिकतर लोग अपने घरों में रह रहे है. वहीं स्थानीय ग्रामीण, मुखिया, वार्ड सदस्य, रेफरल अस्पताल, अंचलाधिकारी आदि को फोन लगा कर परेशान है. लेकिन, उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में शिफ्ट नहीं किया जा रहा है. जिस कारण वे अपने घरों में है. वहीं कुछ लोग क्वारेंटाइन सेंटर में जाने के डर से चोरी छुपे अपने घरों में जमे हुए है.
ग्रामीणों के मुताबिक, नेवारी व भागवतपुर गांव में कई लोग मुंबई, कोलकाता और दिल्ली से आकर अपने घर में ही है. वहीं, चंचलिया गांव निवासी करीब एक दर्जन लोग चेन्नई से ट्रक से आकर थर्मल जांच करा लिए है. ये सभी व्यक्ति सामान्य स्थिति में है और इन्हें क्वारेंटाइन कर दिया गया है. इस तरह से बाहरी प्रदेशों से आकर अधिकतर लोग बिना सूचना के अपने घरों में रहने लगे है. जिससे आसपास के लोगों में कोरोना संक्रमण की आशंका बढ़ गयी है और वे प्रशासनिक पदाधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि वैसे प्रवासी कामगारों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाए जो बाहर से आकर घर मे रह रहे हैं.