महाराष्ट्र के नासिक की तरह माघ महीने में भी प्याज फसल का उत्पादन शेखपुरा के किसान ने भी संभव कर दिखाया है. जिले के अरियरी प्रखंड अंतर्गत चांदी गांव के किसान ने अपने खेत में प्याज फसल को तैयार कर लिया है. हालांकि गुलाबी प्याज का गढ़ कहे जाने वाले शेखपुरा जिले में अभी प्याज का फसल लगाया ही जा रहा है. चांदी गांव में प्याज फसल तैयार होने की खबर ने कृषि जगत को चौंका कर रख दिया है.
चांदी गांव के किसान ने अपने गांव में प्याज की खेती के इस नए फार्मूले को महाराष्ट्र के नासिक से तैयार किया है. सुखाड़ एवं मौसम की मार जैसे प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ कई प्रकार की चुनौतियों को लांघ कर शेखपुरा के किसान ने प्याज उत्पादन में मिसाल कायम किया है. इस नये प्रयोग से किसान को अच्छी फसल उत्पादन के साथ ही अच्छी कीमत भी मिल रही है.
इस साल बारिश कम होने से किसान सुखाड़ की हालात में जब आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे, इसी क्रम में महाराष्ट्र में रहने वाले उनके पुत्र ने प्याज की खेती का सुझाव दिया. महाराष्ट्र नासिक से उनके पुत्र ने चार किलो प्याज का बीज खरीद लाया. अरियरी के चांदी गांव के किसान शैलेंद्र महतो ने बताया कि अगस्त महीने में भी बारिश की स्थिति अच्छी नहीं थी. इसी, कारण यहां ऊंचाई वाले 4 कट्ठा खेत को चिह्नित कर उक्त किसान के द्वारा प्याज का बिचड़ा बोया गया. बिछड़ा तैयार होने के बाद उसकी रोपाई अक्टूबर महीने में की गयी. हालांकि दशहरा के समय में हुई बेमौसम बारिश ने किसान के फसल को नुकसान पहुंचाया. लेकिन इसके बाद भी प्याज की अच्छी फसल उपज हुई है.
Also Read: नालंदा में तकनीक से आगे निकला देसी जुगाड़, स्कूटी एक साथ पेट्रॉल-बैट्री से चलने को तैयार
शेखपुरा जिले में पहली बार अगस्त महीने में प्याज के बिचड़े गिराकर अक्टूबर महीने में बुवाई करने वाले किसान का प्रयोग सफल रहा. कृषक ने बताया कि दो एकड़ खेत में प्याज का फसल लगाया गया है. जिसमें उन्हें प्रति कट्ठा 15 मन प्रति कट्ठा की दर से प्याज की उपज हुई है. प्याज की कीमत फिलहाल बाजारों में एक मन यानी 40 किलों का 650 रुपए की कीमत बाजारों में लगाया जा रहा है.