FIFA World Cup: Under-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम में शामिल सिमडेगा की बेटी पूर्णिमा कुमारी का खेल टीवी पर उसके परिजन नहीं देख पाये. गरीब परिवार की पूर्णिमा के घर में टीवी नहीं है. आखिरकार मोबाइल फोन पर ही उसके परिजन मैच देखकर संतुष्ट हुए.
आर्थिक संकट से गुजर रहा पूर्णिमा का परिवार
सिमडेगा जिला अंतर्गत ठेठईटांगर प्रखंड के जामबहार की रहने वाली पूर्णिमा कुमारी का परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रह है. स्थिति काफी दयनीय है. पूर्णिमा अपनी मां को बचपन में ही खो चुकी है. पूर्णिमा का लालन-पालन बुजुर्ग पिता जीतू मांझी और बड़ी बहन सन्माइयत कुमारी ने किया है. पूर्णिमा का घर आज भी कच्चा और खपड़े का है. घर में पौष्टिक आहार के लाले हैं, तो टीवी घर में होने की बात ही बेमानी है. पूर्णिमा को बचपन से ही खेल के प्रति काफी लगाव था. फुटबॉल और हॉकी दोनों खेलती है.
शिक्षक जगन और सहदेव मांझी ने बढ़ाया आगे
फुटबॉलर पूर्णिमा को शिक्षक जगन और सहदेव मांझी ने आगे बढ़ाया. बचपन में जब जानबहार स्कूल में पढ़ाई करती थी. उस समय उसके खेल की प्रतिभा को देखकर शिक्षक जगन और सहदेव मांझी ने उसका मार्गदर्शन किया. 2017 में मनोज कोनबेगी के प्रयास से आवासीय फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र, हजारीबाग में पूर्णिमा को दाखिला मिला. 2019 में पहली बार भूटान दौरा पर जूनियर भारतीय महिला फुटबॉल टीम के ओर से भाग ली. इसके बाद कई प्रतियोगिता में वह जूनियर भारतीय फुटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व किया. वर्तमान समय में पूर्णिमा फीफा वर्ल्ड कप के लिए अंडर-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम में खेल रही है.
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पूर्णिमा विपरीत हालात से निकल कर देश की एक होनहार फुटबॉलर बनी है. लेकिन, उनके पिता को अपनी गरीबी पर आज भी तरस आ रहा है. वे अपनी बेटी को टीवी पर खेलते हुए नहीं देख सके. दूसरे गांव में वे जाकर टीवी पर बेटी को खेलते हुए देख सकते थे, लेकिन वे बीमार हैं. पूर्णिमा की बड़ी बहन घर में ही रहकर पिता की देखभाल कर रही है. बड़ी बहन सनमईत कुमार को भी पूर्णिमा को टीवी खेलते हुए नहीं देखने का मलाल है.
रिपोर्ट : रविकांत साहू, सिमडेगा.