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झारखंड: PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप की बोलती थी तूती, थ्री लेयर थी सिक्योरिटी, आया शिकंजे में

दिनेश गोप ने सबसे पहले अपने नाम से अपराधिक गिरोह बनाया. इसके बाद दिनेश गोप ने अपने संगठन का नामकरण किया तथा संगठन का नाम जेएलटी रखा. जेएलटी पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिये जाने के बाद फिर दिनेश गोप ने संगठन का नाम जेएलटी को बदल कर पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया रख दिया.

सिमडेगा, रविकांत साहू. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की इलाके में कभी तूती बोलती थी. विशेषकर कोलेबिरा, बानो व जलडेगा थाना इलाके में दिनेश गोप आतंक का पर्याय था. विभिन्न थानों में दिनेश गोप के खिलाफ 24 आपराधिक मामले दर्ज हैं. लगभग 15 साल तक कोलेबिरा, बानो व जलडेगा थाना इलाके के लोग दिनेश गोप के खौफ के साये में रहे. दिनेश गोप के खौफ के कारण जलडेगा, कोलेबिरा व बानो थाना इलाके के ग्रामीण इलाके में लोग शाम होने से पहले अपने घरों में आ जाया करते थे. एनआईए व पुलिस की सहयोग से उसे नेपाल से गिरफ्तार कर दिल्ली से रांची लाया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है.

पहले बनाया था जेएलटी नाम का आपराधिक संगठन

तीनों थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाको में रहने वाले व्यवसायी गांव छोड़कर शहरों में बसने को मजबूर हो गये थे. दिनेश गोप ने सबसे पहले अपने नाम से अपराधिक गिरोह बनाया. इसके बाद दिनेश गोप ने अपने संगठन का नामकरण किया तथा संगठन का नाम जेएलटी रखा. जेएलटी पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिये जाने के बाद फिर दिनेश गोप ने संगठन का नाम जेएलटी को बदल का पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया रख दिया. इस संगठन पर भी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया.

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15 साल तक रहा दिनेश गोप का आतंक

दिनेश गोप का आतंक 2003 से लेकर लगभग 2018 तक इलाके में रहा. दिनेश गोप का मुख्य काम लेवी वसूलना था. लेवी नहीं देने पर लोगों को मौत के घाट उतार देना आम बात थी. दिनेश गोप इलाके में दहशत फैलाता था और हत्याकांड को अंजाम दिया करता था. कई बार पुलिस मुठभेड़ की घटना में भी दिनेश गोप शामिल था.

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हथियार की फैक्ट्री का करता था संचालन

अवैध हथियार की फैक्ट्री भी संचालन दिनेश गोप करता था. महाबुआंग के घनघोर जंगलों के बीच में दिनेश गोप के ऐशोआराम की सभी साधन मौजूद थे. जंगल के बीच हथियार बनाने की फैक्ट्री भी थी. फैक्ट्री में मनोरंजन के भी साधन मौजूद थे. साउंडलेस जेनरेटर भी लगा हुआ था. सीआरपीएफ व जिला पुलिस बल की संयुक्त कार्रवाई में फैक्ट्री को नष्ट कर दिया गया था. उसके बाद से दिनेश गोप अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करने लगा. अपने गुर्गों को भी एके-47 से लैश कर रखा था.

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शाम के पहले ही गांव में सन्नाटा पसर जाता था

दिनेश गोप का दहशत इतना था कि शाम के बाद ग्रामीण इलाकों में यहां तक कि बानो और जलडेगा प्रखंड मुख्यालय के आसपास में भी लोग शाम होने से पहले अपने घरों में आ जाया करते थे. दिनेश गोप और उसके गुर्गों के द्वारा लेवी नहीं देने पर क्रूर तरीके से हत्याकांड को अंजाम दिया जाता था ताकि उसे क्षेत्र में दहशत फैल सके. दिनेश गोप के एक अह्वान पर सिमडेगा जिला पूरी तरह से बंद हो जाता था.

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थ्री लेयर की सुरक्षा में रहता था दिनेश गोप

सिमडेगा पुलिस और सीआरपीएफ को कई अवसर दिनेश गोप को पकड़ने के लिए मिले थे, किंतु किसी प्रकार दिनेश पुलिस को चकमा देकर फरार हो जाता था. बताया जाता है कि दिनेश गोप थ्री लेयर की सुरक्षा में रहता था. पुलिस से हर बार मुठभेड़ होने पर दिनेश गोप फरार हो जाता था.

रघुवर सरकार के समय कमजोर हो गया था दिनेश गोप

रघुवर सरकार के कार्यकाल में जिला पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा लगातार अभियान चलाए जाने से दिनेश गोप का पूरा संगठन बिखर गया था. दिनेश गोप के कई गुर्गे पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे. उससे ज्यादा पीएलएफआई के सदस्य हथियार के साथ गिरफ्तार भी हुए. लगातार मुठभेड़ में मारे जाने और गिरफ्तार होने से पीएलएफआई संगठन पूरी तरह से कमजोर पड़ गया था. इसके बाद दिनेश अपनी पहचान छुपाकर इधर से उधर भागता रहा.

थाना प्रभारी व आरक्षी की हत्या की थी

पीएलएफआई के द्वारा ही थाना प्रभारी विद्वयापति व आरक्षी तुराम विरहुली को मुठभेड़ में मौत के घाट उतार दिया गया था.

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