केरसई प्रखंड के किनकेल पंचायत के राजस्व ग्राम वेतमा के लोगों का बिजली का सपना अब तक पूरा नहीं हुआ है. सरकार एवं विभाग का दावा यहां खोखला साबित हो रहा है. यहां आजादी के बाद से ही अब तक विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं की गयी है. उक्त गांव में अभी तक पोल भी नहीं गाड़ा गया है. इस गांव में लगभग 45 घर हैं और लगभग पांच सौ की आबादी है.यहां के बच्चे अभी भी ढ़िबरी की रोशनी में घर के एक कोने में बैठ कर पढ़ाई करते हैं.
उक्त गांव में उरांव जाति के लोग निवास करते हैं. गांव के ही इमानुएल तिर्की, नेल्सन मिंज, प्रदीप मिंज, सुमित मिंज, मानसिक लकड़ा, जूसाफ लकड़ा, अमित कुजुर, इंदु मिंज, सुबरदानी मिंज, सरोजिनी मिंज, ऐरेन लकड़ा आदि ग्रामीणों का कहना है कि सरकार सभी गांव में बिजली बहाल करने की बात करती है किंतु हमारे गांव में अब तक बिजली उपलब्ध नहीं करायी गयी है.
झारखंड राज्य अलग होने के बाद उम्मीद जगी थी कि गांव का विकास होगा. किंतु सपना सिर्फ सपना ही रह गया. हमारे गांव में बिजली के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं .जिसका समाधान नहीं किया जा रहा है. गांव बहुत पिछड़ा हुआ है. हमारे गांव की ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है .सरकार एवं विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण आज हमारा गांव अंधेरे में है.