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झारखंड : मुसाबनी वन क्षेत्र में 5 हाथियों की मौत, वन विभाग पर लापरवाही का आरोप

पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी वन क्षेत्र में 5 हाथियों की मौत हो गई. मृत हाथियों में तीन बच्चे, एक नर हाथी और एक मादा हाथी शामिल हैं. इन हाथियों की मौत के पीछे का कारण वन विभाग की लापरवाही बताई जा रही है.

पूर्वी सिंहभूम (मुसाबनी) मोहम्मद प्रवेज : पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी वन क्षेत्र के ऊपरबांधा जंगल के पास तीन हाथी के बच्चे सहित पांच हाथियों की मौत हो गई. इन हाथियों की मौत 33 हजार वोल्ट करंट की चपेट में आने से हुई है. घटना सोमवार रात की है, लेकिन मंगलवार दोपहर 1:00 बजे तक वन विभाग को मामले की भनक तक नहीं थी. कुछ ग्रामीण सूखी लकड़ियां और पत्ते लाने के लिए जंगल की ओर गए थे, उन्होंने ही हाथियों को मृत देखा. ग्रामीण मृत हाथियों की फोटो खींचकर लाए, तब जाकर मामले का उजागर हुआ.

कैसे हुआ हादसा

मृत हाथियों में तीन बच्चे, एक नर हाथी और एक मादा हाथी शामिल हैं. इन हाथियों की मौत के पीछे का कारण वन विभाग की लापरवाही बताई जा रही है. दरअसल, ऊपरबांधा जंगल में महज 11 फीट ऊपर से ही 33 हजार वोल्ट की तार गुजरी है. इधर, वन विभाग ने कुछ दिन पहले ही जंगल में ट्रेंच खोदा है और मिट्टी का टीला बगल में ही पड़े रहने दिया. इसी रास्ते से हाथी गुजर रहे थे. रास्ता पार करने के दौरान मादा हाथी मिट्टी के टीले पर चढ़ गई और ऊपर से गुजर रहे तार से सट गई. इस तरह मादा हाथी करंट का शिकार हो गई. वहीं, हाथी के बच्चे भी उसके पैर और सूंड के संपर्क में थे. एक-एक कर पांचों हाथी करंट का शिकार हो गए और सभी की मौत हो गई.

तीन-चार दिनों से इलाके में घूम रहा है हाथियों का झुंड

बता दें कि मुसाबनी वन क्षेत्र के आसपास के गांवों तीन-चार दिनों से हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है, लेकिन वन विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. ग्रामीण खुद की रक्षा के लिए हाथियों को खदेड़ कर जंगल की ओर भेजते हैं, लेकिन वन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. मुसाबनी क्षेत्र के किसान हाथियों से परेशान हैं. हाथी लगातार गांव के किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वन विभाग को इसकी सूचना दी गयी है. हाथियों का उत्पात बढ़ते जा रहा है. हाथियों के डर से ग्रामीण भयभीत हैं. लेकिन वन विभाग मौन है. किसानों ने कहा कि चार दिनों में वन विभाग कोई ठोस पहल नहीं करता है, तो मजबूरन हाता- मुसाबनी सड़क को जाम करना होगा. इसका जिम्मेवार वन विभाग होगा. कहा जा रहा है कि अगर ग्रामीणों की बात सुनकर पहले ही हाथियों को जंगल की ओर भेज दिया जाता, तो शायद इन 5 हाथियों की मौत भी नहीं होती.

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