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Jharkhand: टापू की जिंदगी जी रहे बहरागोड़ा के बेनागाड़िया गांव के लोग, सड़क बनने का केवल मिलता है आश्वासन

बहरागोड़ा की बोरागाड़िया पंचायत अंतर्गत बेनागाड़िया गांव के लोग आज भी टापू की जिंदगी जीने को विवश हैं. गांव में प्रवेश के लिए सड़क नहीं है. गांव में 50 आदिवासी परिवार निवास करते हैं. यहां के लोग 2 किमी घूम कर पश्चिम बंगाल के बेलबोड़िया होते हुए आनाजाना करते हैं.

Jharkhand News: बहरागोड़ा की बोरागाड़िया पंचायत अंतर्गत बेनागाड़िया गांव के लोग आज भी टापू की जिंदगी जीने को विवश हैं. गांव में प्रवेश के लिए सड़क नहीं है. गांव में 50 आदिवासी परिवार निवास करते हैं. यहां के लोग 2 किमी घूम कर पश्चिम बंगाल के बेलबोड़िया होते हुए यातायात करते हैं. कई लोग खेत होते हुए यातायात करते हैं. बीमार को खटिया पर उठाकर 2 किमी ले जाने के बाद एंबुलेंस पर चिकित्सा के लिए भेजा जाता है. ऐसी परिस्थिति में कई मरीजों का मौत असमय पर हो गयी है.

इलाज के अभाव में सेवानिवृत्त शिक्षक की मौत

बीते 28 अक्टूबर की रात को सेवानिवृत्त शिक्षक सुरेंद्र सिंह (71) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी. परिजनों ने बताया कि समय पर इलाज के लिए नहीं ले जा सके. मरीज को यहां से ले जाने के लिए एक घंटा समय लगता है. खटिया पर मरीज को ढोकर ले जाने के बाद एंबुलेंस से इलाज के लिए ले जाया जाता है. इस परिस्थिति में तब तक सेवानिवृत्त शिक्षक की मृत्यु हो चुकी थी. इसके पूर्व भी कई लोगों की मौत इसी परिस्थिति में हुई है. यहां पर सड़क की व्यवस्था होती तो मरीजों को बचाया जा सकता था.

जल्द सड़क बनवाने का आश्वासन

सूचना पाकर सांसद प्रतिनिधि कुमार गौरव पुष्टि व चंदन सीट पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. घटना के बारे में परिजनों से संपूर्ण जानकारी ली. दुख की घड़ी में पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया.उन्होंने बीपीओ से बात कर सड़क बनाने की बात कही. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि हुए सांसद को सड़क की समस्या को अवगत कराएंगे. जल्द से जल्द सड़क निर्माण होगा.

महिलाएं प्रसव के पहले ही चली जाती हैं मायके

गांव में सड़क नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाएं प्रसव तिथि के पहले अपने मायके चली जाती हैं, ताकि प्रसव के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी तरह से मिल सके. इस गांव में सड़क नहीं होने के कारण युवाओं को अब शादी के लिए लड़की देने के लिए परिवार कतरा रहे हैं.

गांव का विकास थम गया है

ग्रामीण महेंद्र सिंह, सुकांत सिंह,सुनाराम सिंह, लालटू प्रसाद सिंह, दुर्योधन सिंह,अतुल सिंह, राखाल सिंह, अजीत सिंह आदि लोगों का कहना है कि यहां सड़क नहीं बनने से यहां के लोग अपेक्षाओं का दंश झेल रहे हैं. गांव का विकास थम गया है. बीमार मरीजों का अचानक तबीयत बिगड़ने से सड़क के अभाव के कारण असमय पर मौत हो रही है.

नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नेता सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने के लिए आते हैं. उसके बाद कोई भी जनप्रतिनिधि इस गांव में प्रवेश नहीं के बराबर आते हैं. लोगों ने कहा कि सड़क बनने से यहां के लोग आसानी से यातायात कर पाएंगे.

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