18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पंचायत दिवस विशेष : जहां कभी नक्सलियों की लगती थीं जन अदालतें, अब बैठनें लगीं पंचायतें

पंचायती राज कायम होने से पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला में नक्सलवाद का खात्मा हुआ है. जहां कभी जन अदालतें लगा करती थी, वहां अब पंचायतें बैठने लगी है. पंचायत चुनाव के बाद से नक्सलियों के पांव उखड़ने लगे.

घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), मो परवेज : पंचायती राज व्यवस्था कायम होने से सबसे बड़ा फायदा नक्सलवाद का खात्मा होना है. गांव की सरकार बनने से बीहड़ गांवों के लोगों में संविधान पर भरोसा जगा. एक समय घाटशिला अनुमंडल के उत्तर में पश्चिम बंगाल और दक्षिण में ओडिशा सीमा पर नक्सलवाद की तूती बोलती थी. 2010 तक गांव-गांव में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती थी. पर 32 साल बाद जब पहली बार पंचायत चुनाव हुआ तो गांव की सरकार बनी. तबसे नक्सलियों के पांव उखड़ने लगे. तीसरे टर्म के पंचायत चुनाव आते -आते नक्सलवाद का पूरी तरह सफाया हो गया. दूसरा टर्म 2015 और फिर तीसरा टर्म का पंचायत चुनाव 2022 में हुआ. इससे बीहड़ गांवों में संविधान, कानून का राज कायम हुआ और लोगों में संविधान-कानून के प्रति पहले की तुलना में ज्यादा भरोसा जगा. धीरे-धीरे नक्सलियों का सफाया हुआ और वे बैकफूट पर चले गये.

कई नक्सलियों ने किया सरेंडर, तो कई मारे गये

पंचायती राज कायम होने से ग्रामीण नक्सलियों का सहयोग करना छोड़ दिया. साफ कह दिया कि हमलोग पंचायत प्रतिनिधि हैं. संविधान पर भरोसा है. आपको जो करना करें,.अब हम साथ नहीं देंगे. तबसे नक्सलियों का नया मेंबर बनना बंद हो गया. वे लोग गांव आना कम कर दिया. बैठकें और जन अदालते बंद हो गयीं. जहां कभी जन अदालतें लगती थी वहां पंचायत राज कायम होने से पंचायत बैठने .लगी. 2010 से 2015 के बीच दो बड़ी घटना घटी. पहली 24 नवंबर 2011 को माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी पुलिस मुठभेड़ में जामबनी में मारा गया. वहीं 15 फरवरी 2017 को गुड़ाबांदा के प्रमुख नक्सली नेता कान्हु मुंडा अपने सात साथियों के साथ सरेंडर कर दिया. इसके पूर्व सांसद हत्या कांड के शूटर रहे रंजीत पाल उर्फ राहुल ने कोलकाता पुलिस मुख्यालय में 25 जनवरी 2017 को ही अपनी नक्सली पत्नी झरना के साथ सरेंडर किया. इसके बाद कई अन्य नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया.

घाटशिला अनुमंडल के प्रखंड और पंचायतों की स्थिति

प्रखंड : पंचायत :

घाटशिला : 22

मुसाबनी : 19

डुमरिया : 10

गुड़ाबांदा : 08

चाकुलिया  : 19

बहरागोड़ा : 26

धालभूमगढ़ : 11

Also Read: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का वीडियो वायरल होने पर दर्ज करायी प्राथमिकी, कहा-विरोधियों की साजिश

पहले की तुलना में तेजी से हो रहा विकास

पंचायती व्यवस्था 32 साल बाद लागू होने के बाद से पहले की तुलना में पंचायत और गांवों में विकास के कार्य अधिक हो रहे हैं. हालांकि पंचायत को तीन टर्म चुनाव के बाद भी पूरा विभाग नहीं मिला है. करीब 29 विभाग पंचायत के पास है. पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय भी काफी कम है. जिसे बढ़ाने की मांग उठती रही है. राज्य सरकार ने पिछले दिनों सदन में मानदेय बढ़ाने की बात कही थी. पहले 14 वें और फिर 15 वित्त आयोग की राशि से पंचायत में कच्चे और पक्के काम हो रहे हैं. पर पंचायत प्रतिनिधि कहते हैं कि जितना काम होना चाहिए उतना नहीं हो पाता.

धरमबहाल और काशिदा पंचायत रूर्बन मिशन के तहत हुआ चयन

घाटशिला प्रखंड की धरमबहाल और काशिदा पंचायत का डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के तहत चयन हुआ.इसमें कई करोड़ की योजना पारित हुई. जिसमें केंद्र सरकार की भागीदारी थी. दोनों पंचायत के गांवों को हर क्षेत्र में मॉडल बनाने की योजना शुरू हुई. परंतु समय पर काम पूरा नहीं होने से कई काम अधूरे है.

कई आदर्श पंचायत बने, पर काम नहीं हुआ

घाटशिला की बड़ाजुड़ी पंचायत को सांसद ने गोद लेकर आदर्श पंचायत बनाने की घोषणा की थी. पर जैसा काम होना चाहिए वैसा नहीं हुआ. अन्य प्रखंड कई आदर्श पंचायत तो बने पर बहुत ज्यादा काम नहीं हो पाया. पंचायती व्यवस्था आने से पेयजल, जलापूर्ति योजना, मनरेगा के काम, पीएम आवास, नाली, बागवानी आदि के काम तेजी से हुए हैं.

Also Read: Photos: पलामू का कोयल रिवर फ्रंट जनता को समर्पित, जगमगाई रोशनी से मंत्रमुग्ध हुए लोग

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें