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झारखंड : पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर शहर में कचरे की बदबू से चलना हुआ दूभर, बढ़ते प्रदूषण से लोग परेशान

पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र में ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होने से लोग खासा परेशान हैं. धुंआ से खांस-खांसकर लोग परेशान हैं. अब तो लोगों को गंभीर बीमारी की आशंका भी सताने लगी है. वहीं, दिनभर मच्छरदानी लगाकर लोग रहने को मजबूर हैं.

चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), प्रताप प्रमाणिक : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर नगर पर्षद की ओर से शहरी क्षेत्र में ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होने से कुदरीबाड़ी श्मशान घाट में कचरों का ढेर लग गया है. कचरों का निपटारा नहीं होने से यहां के आसपास लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. कचरों के बदबू से लोग परेशान हैं. जहरीले कीड़े एवं मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं. बच्चों की सेहत का ख्याल रखने के लिए 24 घंटे मच्छरदानी का सहारा लेना पड़ रहा है. नगर परिषद द्वारा शहर से निकलने वाले कूड़ा-कचरा को श्मशान घाट के पास डंप किया जा रहा है. बरसात में शहरवासियों को श्मशान घाट में काफी परेशानी होती है. श्मशान घाट में मृत पशु को भी फेंक दिया जाता है. श्मशान के आसपास रहने वाले करीब दो हजार लोग कचरों के दुर्गंध से परेशान हैं. इतना ही नहीं श्मशान घाट के बगल से गुजरने वाली संजय नदी भी कूड़ा कचरा से दूषित हो रही है.

धुआं से खांस-खांस कर परेशान हैं लोग

श्मशान घाट में डंप कूड़ा कचरा में हर दिन आग लगा दी जाती है. इसका दूषित धुआं आसपास के घरों में घुस जाता है. इससे लोग खांस-खांसकर परेशान रहते हैं. सबसे अधिक छोटे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. आसपास के लोग गंभीर बीमारी होने की आशंका जता रहे हैं. श्मशान घाट के आसपास काफी संख्या में खटाल भी है. खटाल में पुआल का ढेर है. कूड़ा कचरे में आग लगने के बाद खटाल मालिकों में हमेशा डर बना रहता है. कूड़ा कचरों का निस्तारण नहीं होने से आसपास के लोग नरकीये जीवन जीने को विवश हैं.

हर महीने 200 गाड़ी डंप होता है कचरा

श्मशान घाट में हर महीने औसतन दो सौ गाड़ी से ज्यादा कूड़ा कचरा डंप होता है. श्मशान घाट में 12 हजार से अधिक गाड़ी कूड़ा कचरा डंप है. श्मशान घाट के चारों ओर कूड़ा ही कूड़ा नजर आता है. श्मशान घाट परिसर में कूड़ा कचरा नहीं डालने का विरोध शहरवासियों ने कई बार किया, पर अभी तक कोई विशेष पहल नहीं की गयी है. आज तक नगर पर्षद श्मशान घाट में कूड़ा कचरा डाल रहा है. अब कूड़ा कचरा इतना भर गया कि इसका निस्तारण नहीं किया गया, तो आसपास के लोगों को बीमार होने से कोई नहीं रोक सकता.

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ठोस कचरा प्रबंधन के लिए पांच एकड़ भूमि की जरूरत

नगर पर्षद को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए पांच एकड़ भूमि की जरूरत है. नगर पर्षद ने ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट स्थापित करने के लिए शहर से 25 किमी दूर भरनिया में भूमि चिह्नित किया है. पर, यहां के भी ग्रामीण कचरा प्लांट का विरोध कर रहे हैं. इसके लिए नगर पर्षद अपनी ओर से सार्थक पहल कर रहा है. बताया जा रहा है आने वाले दिनों में शहरवासियों को इस समस्या से निजात मिलेगी.

क्या कहते हैं लोग

स्थानीय जयराम यादव ने कहा कि प्रशासन कूड़ा कचड़ा से निजात दिलाये. कचरों के बदबू से हमलोगों का रहना मुश्किल हो गया है. जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. वहीं, केदार यादव का कहना है कि श्मशान घाट से काफी नजदीक घर है. कूड़े कचरों को रोजाना जलाया जाता है. धुंआ से आसपास के लोग खांस खांसकर परेशान हैं. हमेशा बीमार रहते हैं.

कूड़ा-कचरा जटिल समस्या है

स्थानीय राहुल यादव का कहना है कि श्मशान घाट के समीप कई खंटाल संचालित है. कचरे में आग लगा देने से आगजनी की घटना होने की संभावना बनी रहती है. वहीं, ललिता देवी का कहना है कि कूड़ा कचरा जटिल समस्या बन गयी है. मच्छर और जहरीले कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप बढ़ गया है. दुर्गंध से लोग परेशान हैं. लोगों का जीना मुहाल हो गया है.

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कूड़ा कचरों से उठने वाली दुर्गंध से लोग परेशान

स्थानीय ममता देवी का कहना है कि कई वर्षों से श्मशान घाट में शहर का कचरा डंप किया जा रहा है, कूड़ा कचरों से उठने वाली दुर्गंध लोगों को मुश्किल में डाल रखा है. वहीं, शैली देवी का कहना है कि कूड़ा कचरे की सफाई नहीं हुई, तो जल्द ही आसपास के लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जायेंगे. संक्रामक बीमारी का खतरा सता रहा है.

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