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नाबालिग से दुष्कर्म मामले में केस दर्ज नहीं करने वाले चक्रधरपुर थाना प्रभारी के खिलाफ CID जांच शुरू

पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर थाना प्रभारी के खिलाफ CID की जांच शुरू हो गयी है. थाना प्रभारी पर नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के अारोपी को बचाने का आरोप है. इससे पहले जिला पुलिस ने इस मामले में क्लीन चिट दिया था. वहीं, पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार लगायी थी.

Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर में बीते दिसंबर माह में हुए एक 14 वर्षीय नाबालिग बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के मामले में चक्रधरपुर थाना प्रभारी पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इस मामले में अब तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. थाना प्रभारी के खिलाफ CID ने जांच शुरू कर दी है.

क्या है मामला

चक्रधरपुर के थाना प्रभारी लक्ष्मण प्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सामूहिक दुष्कर्म करने वाले पांच आरोपियों को बचाने की कोशिश की और पीड़ित परिवार के लिखित आवेदन के बावजूद चक्रधरपुर थाना में मामला दर्ज नहीं किया. इस मामले को अब झारखंड सरकार ने गंभीरता से ले लिया है. सात महीने बाद सरकार ने इस मामले की जांच अब CID को सौंप दी है. सीआईडी अब इस पूरे मामले में चक्रधरपुर थाना प्रभारी लक्ष्मण प्रसाद की भूमिका की जांच कर रही है. जल्द ही यह जांच रिपोर्ट पुलिस विभाग को भेजी जाएगी. संभावना जतायी जा रहीी है कि दोषी पाए जाने पर थाना प्रभारी के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई कर सकती है.

जिला पुलिस ने दिया था क्लीन चिट

बता दें कि इस मामले को लेकर जिला पुलिस ने भी जांच की थी, लेकिन अपनी जांच में जिला पुलिस ने थाना प्रभारी लक्ष्मण प्रसाद को क्लीन चिट दे दी थी. लेकिन, जिला पुलिस की जांच से असंतुष्ट सरकार ने अब नये सिरे से थाना प्रभारी लक्ष्मण प्रसाद की भूमिका की जांच सीआईडी को सौंप दी है. यह पहला मामला नहीं है जब पद का दुरुपयोग कर लक्ष्मण प्रसाद ने खाखी को कलंकित करने का काम किया है. इससे पहले लौह अयस्क चोरी के एक मामले में भी थाना प्रभारी लाइन हाजिर हो चुके हैं. लाइन हाजिर होने के बाद उन्हें चक्रधरपुर का थाना प्रभारी बनाया गया है.

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पीड़ित परिवार ने लगायी थी न्याय की गुहार

मालूम हो कि चक्रधरपुर थाना से न्याय नहीं मिलने पर नाबालिग पीड़िता के साथ पीड़ित परिवार ने पूर्व विधायक शशिभूषण सामड से मिलकर न्याय की गुहार लगाई थी. जिसके बाद पूर्व विधायक ने तत्कालीन एसपी अजय लिंडा को फोन कर इसकी शिकायत की थी. इसके बाद भी जब मामला दर्ज नहीं किया गया, तो पीड़िता ने तत्कालीन विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर से न्याय की गुहार लगाई. इसके बाद विधिक सेवा प्राधिकरण के दबाव में मामला दर्ज किया गया. पांच लोग नामजद अभियुक्त बनाए गए थे, लेकिन अब तक पांचों आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर है और इस मामले में पुलिस का अनुसंधान कछुए की चाल से भी धीमी है.

Posted By: Samir Ranjan.

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