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झारखंड में ट्रेन से कटकर हाथी की मौत, एलीफैंट जोन में हादसे के बाद रेलगाड़ियों का परिचालन बंद

IRCTC/Indian Railways: झारखंड में ट्रेन से कटकर एक हाथी की मौत हो गयी है. इसके बाद हावड़ा-मुंबई मेन लाइन पर ट्रेनों का आवागमन रोक दिया गया. चक्रधरपुर रेल मंडल के जराईकेला-मनोहरपुर रेलवे स्टेशनों के बीच ट्रेन की चपेट में आने से हाथी की मौत हुई.

चक्रधरपुर (शीन अनवर) : झारखंड में ट्रेन से कटकर एक हाथी की मौत हो गयी है. इसके बाद हावड़ा-मुंबई मेन लाइन पर ट्रेनों का आवागमन रोक दिया गया. चक्रधरपुर रेल मंडल के जराईकेला-मनोहरपुर रेलवे स्टेशनों के बीच ट्रेन की चपेट में आने से हाथी की मौत हुई.

डाउन रेल लाइन में पोल संख्या 378 के समीप एक मालगाड़ी ने रेलवे ट्रैक पर भटककर आ गये गजराज को धक्का मार दिया, जिससे मौके पर ही हाथी की मौत हो गयी. घटना में मालगाड़ी के इंजन का पेंटो भी टूट गया. इंजन को भी क्षति पहुंची है.

ओएचई का खंभा भी इस दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया है. इसके बाद डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया. रेलवे और वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर हाथी के शव को हटाया. हादसा स्थल चक्रधरपुर-राउरकेला मेन लाइन पर पड़ता है.

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झारखंड में ट्रेन से कटकर हाथी की मौत, एलीफैंट जोन में हादसे के बाद रेलगाड़ियों का परिचालन बंद 2

सारंडा के जंगलों से गुजरने वाली रेल की पटरियों पर पहले भी ट्रेनों की चपेट में हाथी आते रहे हैं. रिकॉर्ड बताते हैं कि इस क्षेत्र में कम से कम 5 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है. पूरा विवरण इस प्रकार है:

  • पोसैता-गोइलकेरा रेलखंड में वर्ष 2000 में 4 हाथियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हो गयी थी.

  • अहमदाबाद-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ने डेरवां और सारंडा रेल सुरंग के बीच 3 गजराजों को अपनी चपेट में ले लिया था. इनमें से दो की तत्काल मौत हो गयी थी. एक घायल हाथी ने करीब 6 घंटे बाद उपचार के क्रम में दम तोड़ दिया था.

  • इस घटना के दूसरे दिन हाथियों के दल ने उसी अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन को वापस हावड़ा से लौटने के क्रम में निशाना बनाने की कोशिश की थी. इसमें एक और हाथी की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गयी. घटना से डरे ड्राइवर और गार्ड ट्रेन छोड़कर जान बचाकर पीछे भाग गये थे.

  • सारंडा रेल सुरंग के अप लाइन में वर्ष 1993 में हावड़ा-कुर्ला एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गयी थी.

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इन घटनाओं से सबक लेते हुए केंद्रीय वन मंत्रालय ने वर्ष 2005 में गोइलकेरा-मनोहरपुर रेल खंड को एलीफैंट जोन के रूप में चिह्नित करते हुए रेल ट्रैक के दोनों किनारे हाथियों को सुरक्षित रखने और रेलवे लाइन पर उनके प्रवेश को रोकने के लिए लोहे से बैरिकेडिंग करायी थी.

Posted By : Mithilesh Jha

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