Jharkhand News : चक्रधरपुर (शीन अनवर) : पश्चिमी सिंहभूम जिले में हावड़ा-मुम्बई मुख्य रेलमार्ग में जराइकेला-मनोहरपुर रेलखंड के बीच जिस जगह एक हाथी की ट्रेन से कटकर मौत हो गयी थी, वहां मरम्मत के दौरान सीनियर सेक्शन इंजीनियर अमित कांत की भी मौत हो गयी. अमित कांत झारखंड के ही हजारीबाग के निवासी थे.
आपको बता दें कि बुधवार की रात जराइकेला-मनोहरपुर के बीच पोल संख्या 378/12 के समीप भटककर रेलवे ट्रैक पर आ गए एक जंगली हाथी की ट्रेन से कटकर मौत हो गयी थी. घटना में रेलवे का ओएचई वायर, खंभा एवं मालगाड़ी इंजन का पेंटो भी टूट गया था. इसके बाद डाउन लाइन में रेल यातायात बाधित हो गया था.
रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी गुरुवार सुबह से इसकी मरम्मत कराने में जुटे हुए थे. गुरुवार शाम को इसी दौरान एक मालगाड़ी की चपेट में आकर चक्रधरपुर रेल मंडल टीआरडी विभाग के सीनियर सेक्शन इंजीनियर अमित कांत की मौत हो गयी. घटना के बाद उनके शव को मनोहरपुर लाया गया, जहां पोस्टमार्टम व आवश्यक कानूनी प्रक्रिया के बाद परिजनों को सौंप दिया गया.
सारंडा के जंगलों से गुजरने वाली रेल की पटरियों पर पहले भी ट्रेनों की चपेट में हाथी आते रहे हैं. रिकॉर्ड बताते हैं कि इस क्षेत्र में ट्रेन की चपेट में आने से नौ हाथियों की मौत हो चुकी है. पोसैता-गोइलकेरा रेलखंड में वर्ष 2000 में 4 हाथियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हो गयी थी.
अहमदाबाद-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ने डेरवां और सारंडा रेल सुरंग के बीच तीन गजराजों को अपनी चपेट में ले लिया था. इनमें से दो की तत्काल मौत हो गयी थी. एक घायल हाथी ने करीब 6 घंटे बाद उपचार के क्रम में दम तोड़ दिया था. इस घटना के दूसरे दिन हाथियों के दल ने उसी अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन को वापस हावड़ा से लौटने के क्रम में निशाना बनाने की कोशिश की थी. इसमें एक और हाथी की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गयी थी. इस घटना से डरे ड्राइवर और गार्ड ट्रेन छोड़कर जान बचाकर भाग गये थे. सारंडा रेल सुरंग के अप लाइन में वर्ष 1993 में हावड़ा-कुर्ला एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गयी थी.
केंद्रीय वन मंत्रालय ने इन घटनाओं से सबक लेते हुए वर्ष 2005 में गोइलकेरा-मनोहरपुर रेल खंड को एलीफैंट जोन के रूप में चिह्नित करते हुए रेल ट्रैक के दोनों किनारे हाथियों को सुरक्षित रखने और रेलवे लाइन पर उनके प्रवेश को रोकने के लिए लोहे से बैरिकेडिंग करायी थी.
Posted By : Guru Swarup Mishra